बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले पहले चरण के मतदान से ठीक पहले अपनी चुप्पी तोड़ दी है।
लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के नाम ब्लॉग लिखा है। आडवाणी ने ये ब्लॉग पार्टी की स्थापना दिवस यानी 6 अप्रैल से दो दिन पहले लिखा है। खास बात ये है कि उन्होंने गांधीनगर के लोगों को भी इस ब्लॉग के जरिए संबोधित किया है। गुजरात के गांधीनगर से आडवाणी बीजेपी के मौजूदा सांसद हैं। उन्हें पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया। उनकी जगह पर अमित शाह यहां से चुनाव मैदान में है।
आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा, “अपने विचारों को साझा करने से पहले, मैं गांधीनगर के लोगों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने 1991 के बाद से मुझे 6 बार यहां से लोकसभा के लिए चुना। उनके प्यार और समर्थन ने मुझे हमेशा अभिभूत किया है।”
उन्होंने ब्लॉग में लिखा, “बीजेपी में हम सभी के लिए एक अहम मौका है, अपने पीछे देखने का, आगे देखने का और अपने भीतर झांकने का। पार्टी के संस्थापकों में से एक के रूप में, मैं मानता हूं कि ये मेरा कर्तव्य है कि मैं भारत के लोगों के साथ अपने प्रतिबिंबों को साझा करूं, और खास कर मेरी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के साथ। इन दोनों के सम्मान और स्नेह का मैं कर्जदार हूं।”
उन्होंने आगे लिखा, “मेरे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत है, पहले देश, फिर पार्टी और सबसे आखिर में खुद रहा है। हालात जैसे भी रहे हों, मैंने इन सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश की और आगे भी करता रहूंगा।”
आडवाणी ने आगे लिखा, “अभिव्यक्ति का सम्मान और इसकी विभिन्नता, भारतीय लोकतंत्र का सार है। बीजेपी ने अपनी स्थापना के बाद से कभी उन्हें दुश्मन नहीं माना जो राजनीतिक रूप से हमारे विचारों से असहमत हों, बल्कि हमने उन्हें अपना सलाहकार माना है। इसी तरह भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमने कभी भी उन्हें राष्ट्र विरोधी नहीं कहा, जिन्होंने राजनीतिक रूप से हमसे असहमत थे।”
अपने ब्लॉग में आडवाणी ने लिखा, “देश में और पार्टी के अंदर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा भारत के लिए गर्व की बात रही है। इसलिए, बीजेपी हमेशा मीडिया समेत हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की आजादी, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती की मांग करने में सबसे आगे रही है। भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिए चुनावी सुधार, राजनीतिक और चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता पर विशेष ध्यान देना पार्टी के लिए प्राथमिकता रहा है।”
आडवाणी ने लिखा, “ये मेरी ईमानदार इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत की लोकतांत्रिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए कोशिश करनी चाहिए। ये सच है कि चुनाव, लोकतंत्र का त्योहार है, लेकिन वो भारतीय लोकतंत्र के सभी हितधारकों, राजनीतिक दलों, मास मीडिया, चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों और सबसे बढ़कर मतदाताओं के लिए ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण का एक मौका है।”
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