भारत को आज पहला राफेल लड़ाकू विमान मिलने वाला है। फ्रांस की राजधानी पेरिस से 590 किलोमीटर दूर दसॉल्ट एविएशन के प्लांट में भारत को पहला राफेल सौंपा जाएगा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस वक्त फ्रांस में है और वो खुद इसे रिसीव करेंगे।
इसी के साथ शुरू होगी इस नए शस्त्र की पूजा। रक्षा मंत्री फ्रांस के पोर्ट बोर्डेक्स पर विमान को रिसीव करने के बाद उसमें उड़ान भर कर ये अनुभव करेंगे की भारत का ये नया अचूक अस्त्र कितना कारगर है। भारत को फ्रांस से कुल 36 विमान मिलने हैं। आज पहला विमान मिलेगा उसके बाद अगले साल मई से ये विमान भारत आने शुरू हो जाएंगे।
राफेल की खासियत
राफेल एक डिफेंसिव से ज़्यादा Offensive यानी आक्रामक मशीन है। हर एक राफेल पाकिस्तान और चीन के दस-दस विमानों का एक साथ मुक़ाबला कर सकता है। राफेल 2200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। राफेल एक बार में 9 हज़ार किलो से ज़्यादा बम लेकर उड़ सकता है। इसका सबसे ख़तरनाक हथियार होगा Storm Shadow Cruise missile। इसकी रेंज 550 किलोमीटर है। यानी ब्रह्मोस Cruise missile से दोगुना ज़्यादा है। इस मिसाइल के साथ पूरा पाकिस्तान भारत की ज़द में होगा। बिना रिफ्यूलिंग के राफेल 3700 किलोमीटर के दायरे में उड़ सकता है। इसलिये पूरे उत्तर भारत की सुरक्षा अब रफाल के हाथों में रहेगी। ये लड़ाकू विमान एशिया के आसमान में गेमचेंजर साबित होगा। राफेल दो मोर्चों पर लड़ने के लिये भारत का ट्रंप कार्ड कहा जा रहा है।
कहां होगी तैनाती
राफेल की पहली Squadron हरियाणा के अंबाला में तैनात की जाएगी। जबकि दूसरी Squadron पश्चिम बंगाल के हाशीमारा बेस पर तैनात की जाएगी। एक Squadron में अमूमन 16 से18 विमान होते हैं। इसलिये दोनों ही एयरबेस पर 18-18 राफेल तैनात किये जाएंगे।
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