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ऑस्ट्रेलिया ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए जो कदम उठाए उससे पूरी दुनिया को सीख लेनी चाहिए

ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों पानी का संकट गहरा गया है। फरवरी के दौरान भीषण गर्मी की वजह से वहां के नदियों का जस्तकर काफी नीचे पहुंच गय है। सिडनी में तो हालात बद से बदतर हो गए हैं।

जल स्रोत 1940 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पानी के संकट से निपटने के लिए साउथ वेल्स प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। प्रशासन ने जो नियम तय किए हैं उसके मुताबिक अगर कोई नल खुला छोड़ता है तो ये अपराध की श्रेणी में आएगा। इसके साथ ही अगर किसी ने बगीचे कि सिंचाई के लिए स्प्रिंकल सिस्टम का इस्तेमला किया तो उसे जुर्माना देना पड़ेगा। अगर कोई शख्स पानी की बर्बादी करेगा तो उसे 10613 रुपए जुर्माना और संस्थान पानी की बर्बादी करेगी तो उसे 26532 रुपए का जुर्माना देना पड़ेगा। ये नियम वहां अगले हफ्ते से लागू हो जाएगा।

पहले भी लागू हो चुके हैं नियम

इससे पहले भी सिडनी में पानी का संकट आ चुका है। साल 2009 में पानी की बर्बादी रोकने के लिए न्यू साउथ वेल्स प्रशासन ने प्रतिबंध लागू किए थे। सिडनी के कई इलाकों में तो दशकों बाद भी ये नियम आज भी लागू है। उस वक्त भी पानी की बर्बादी करने पर लोगों पर जुर्माने का प्रावधान रखा गया था।

सिडनी में चुनाव के वक्त पानी की किल्लत भी एक अहम मुद्दा बनता है। कुछ साल पहले वहां मरे-डार्लिंग नदी में पानी की कमी से बहुत सारी मछलियां मर गई थीं। तब ये भी चुनावी मुद्दा बना था। साउथ-ईस्टर्न स्टेट की जल मंत्री मेलिंडा पवे का कहना है कि सारा इलाका भीषण सूखे से जूझ रहा है। जल संकट से निपटने के लिए हर व्यक्ति को अपना योगदान देना होगा। प्रतिबंध इसी वजह से लागू किए गए हैं।

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