जलवायु परिवर्तन पर इस लड़की ने जो कहा उसे उत्तराखंड वालों ने नहीं समझा तो पहाड़ों पर जिंदगी नहीं बचेगी!
न्यूयॉर्क में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन पर समिट हुआ। जिसमें प्रधानमंत्री पीएम मोदी समेत कई देशों के प्रमुख शामिल हुए। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर भाषण दिया और अपनी चिंता जाहिर की।
उनके साथ कई और नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात रखी, लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान 16 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने खींचा। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ परिवर्तनकारी कार्रवाई की मांग को लेकर दुनियाभर में 40 लाख से ज्यादा लोगों के हड़ताल पर जाने के बाद ग्रेटा थनबर्ग ने दुनियाभर के नेताओं को चेतावनी दी है। उसने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उचित कदम नहीं उठाए तो तो वे उन्हें माफ नहीं करेंगी। ग्रेटा के अलावा 15 दूसरे बच्चों ने बाद में जलवायु संकट पर पांच देशों के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की।
ग्रेटा थनबर्ग ने दुनिया भर के नेताओं को बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से निपटने में नाकाम बताया है। उसने कहा कि विकास के नाम पर नेताओं ने उनके साथ विश्वासघात किया है। उसकी पीढ़ी के बच्चों का बचपन, उनके सपने सब सब कुछ नेताओं के खोखले शब्दों की वजह से बर्बाद हो रहे हैं। पूरा पारितंत्र खतरे में है, और आप आर्थिक विकास के नाम का जाप कर रहे हैं आपकी हिम्मम कैसे हुई?
ग्रेटा थनबर्ग ने अपनी स्पीच में कहा कि हम सामूहिक विलुप्ति की कगार पर हैं और आप आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं। आपने साहस कैसे किया। युवाओं ने आपके विश्वासघात को समझना शुरू कर दिया है। भविष्य की पीढ़ियों की नजरें आप पर हैं और अगर आप हमें निराश करेंगे तो मैं कहूंगी कि हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे।
कौन है ग्रेटा थनबर्ग?
ग्रेटा थनबर्ग स्वीडिश एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट हैं। ग्रेटा जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनियाभर में जागरुकता बढ़ाने का काम कर रही है। ग्रेटा जलवायु संकट के लिए दुनियाभर के नेताओं को जिम्मेदार ठहराती हैं। साल 2018 अगस्त में ग्रेटा थनबर्ग ने स्वीडिश संसद के बाहर प्रदर्शन करने के लिए स्कूल से छुट्टी ले ली थी।
जलवायु परिवर्तन का उत्तराखंड पर असर
जलवायु परिवर्तन का उत्तराखंड का सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है, क्योंकि सूबे में पहाडी इलाके बहुत ज्यादा हैं। पहाड़ों पर जलवायु परिवर्तन के असर और उसका प्रभाव सबसे ज्यादा तेजी से फैल रहा है। पहाड़ के 70 फीसदी किसान जलवायु परिवर्तन की वजह से खतरे में हैं। बारिश होने की पद्धति में आए बदलाव से पहाड़ के किसान बरबाद हो रहे हैं। अगर जल्द ही इसे सुधारने की कोशिश नहीं की गई तो हालात भयावह हो जाएंगे। जलवायु परिवर्तन की वजह से खेती और इससे जुड़े रोजगार पर काले और घने बादल मंडरा रहे हैं।