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देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी का निधन, उत्तराखंड से था ये खास रिश्ता

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन के बाद एक और दुखद खबर आई है। देश की पहली और उत्तराखंड पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी का मुंबई में निधन हो गया है।

कंचन चौधरी ने सोमवार शाम को मंबई में 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली है। कंचन लंबे समय से बीमार चल रही थीं। मुंबई के एक प्राइवेट अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर सीएम सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत,  राज्यपाल और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शोक जताया है, और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

उनके निधन से देश समेत उत्तराखंड में शोक की लहर है। वो बेहतर काम और जुझारू व्यक्तित्व के लिए जानी जाती थीं। वो उत्तर प्रदेश कैडर की 1973 बैच की आईपीएस अधिकारी थीं। जब उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से अलग हुआ और एक अलग राज्य बना उस वक्त कंचन चौधरी उत्तराखंड कैडर में शामिल हो गईं। वो मूल रूप से हिमचल प्रदेश की रहने वाली थीं।

नारायण दत्त तिवारी सरकार के कार्यकाल के दौरान कंचन चौधरी उत्तराखंड में डीजीपी रहीं। उत्तराखंड में अपने कार्यकाल के दौरान कंचन चौधरी ने की ऐसे काम किए जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। अक्टूबर 2007 में वो उत्तराखंड पुलिस से रिटायर हो गईं थीं। पुलिस से रिटायर होने के बाद भी उन्होंने समाज को लेकर अपने दायित्वों को जारी रखा। उन्होंने कई समाज सुधारक काम किए।

कंचन चौधरी को 1989 में राष्ट्रपति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। 1997 में उन्हें सेवा मेडल और साल 2004 में राजीव गांधी विशेष सेवा मेडल से नावाजा गया। 2014 के लोकसभा में उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली थी। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने चंचन चौधरी को हरा दिया था। निशंक वर्तमान में मोदी सरकार में मानव संसाधन मंत्री हैं।

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