पलायन जैसे बड़े मुद्दे पर राज्य सरकार और प्रदेश वासियों के लिए अच्छी खबर है। कोरोना काल में गांव लौटे प्रवासियों ने अच्छे संकेत दिए हैं।
पलायन आयोग की ओर से पेश की गई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, गांव लौटे प्रवासियों में से 65 फीसदी लोग ऐसे हैं जो अब उत्तराखंड में ही रहना चाहते हैं। यहीं पर रह कर अपना जीवन यापन करना चाहते हैं। वहीं, 35 फीसदी लोग ऐसे हैं जो वापस बाहरी राज्यों में जाना चाहते हैं। पिछले 20 सालों में उत्तराखंड में पलायन की समस्या बेहद गंभीर हो गई थी। सरकारों को ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो लोगों को दूसरे राज्यों मे जाने से कैसे रोकें। लेकिन कोरोना महामारी ने इस समस्या को 65 फीसदी तक लगभग खत्म कर दिया है। या यूं कहें कि कोरोना महामारी एक तरीके से प्रदेश सरकार के लिए पलायन के मुद्दे पर वरदान साबित हुआ है।
पलायन के मुद्दे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए मौजूदा सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान खुद के लिए एक अवसर के रूप में देखा। सरकार की ओर से प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराने, उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए लगातार कदम उठाए गए। अभी भी लगातार सरकार अर्त्मनिर्भर समेत कई ऐसे अभियान चला रही है, ताकि गांव और प्रदेश लौटे प्रवासियों को कहीं और न जाना पड़े वो यहीं रुक जाएं।
सरकार द्वारा प्रदेश में लौटे प्रवासियों के बारे में पलायन आयोग को अध्ययन करने के दिशा-निर्देश दिए गए थे। इस दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों को उत्तराखंड में ही रोका जा सके। इस पर पलायन आयोग पिछले कई महीनों से लगातार काम कर रहा है और अब नतीजा बेहद सुखद आया है।
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