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चीन में कोहराम मचाने वाले ‘कोरोना वायरस’ को लेकर उत्तराखंड में अलर्ट, जानें क्या हैं लक्ष्ण, रहें सावधान!

चीन में कोरोना वायरस से कोहराम मचा हुआ है। अब तक चीन में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग इस बीमारी की चपेट में है।

भारत में कोरोना वायरस से कई संदिग्ध मरीज समाने आ चुके हैं। उत्तराखंड की सीमा चीन और नेपाल से लगी हुई है। ऐसे में प्रदेश के लोगों को भी इस जानलेवा बीमारी से सावधान रहने की जरूरत है। यही वजह है कि राज्य में इस बीमारी को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना वायरस को लेकर हेल्थ एडवाइजरी जारी की है। इसके साथ ही सरकार ने नेपाल सीमा से सटे चेक पोस्टों पर डॉक्टरों की तैनाती की है, ताकि उधर से आने वालों यात्रियों की जांच कर ये सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें कोई कोरोना वायरस के लक्ष्ण नहीं हैं।

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.अमिता उप्रेती ने बताया कि पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, बनबसा, झूलाघाट, मनकोट, जौलजीवी और मनवाकोट सीमावर्ती क्षेत्रों के चेक पोस्टों पर निगरानी के लिए डॉक्टरों की टीमें तैनात की जा रही हैं। नेपाल और चीन से आने वाले यात्रियों की जांच की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, राज्य के सभी जिलों के सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी से निपटने के लिए जरूरी सुविधाएं तैयार रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। सरकारी अस्पतालों में आईसोलेश वॉर्ड बनाने के लिए कहा गया है।

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की निगरानी के लिए जौलीग्रांट, पंतनगर एयरपोर्ट और पिथौरागढ़ के नैनी सैनी हेलीपैड पर डॉक्टरों की टीमें तैनात की जा रही हैं, जो यात्रियों की जांच करेंगी। नेपाल और चीन से आने वाले यात्रियों पर खास नजर रखी जा रही है। यात्रियों में बुखार खांसी और जुकाम के लक्षण पाए जाने पर उनके सैंपल लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

कोरोना वायरस और इसके लक्षण क्या हैं:

कोरोना वायरस से ग्रसित व्यक्ति को सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, बुखार, लगातार छींक आना, अस्थमा का बिगड़ना, थकान महसूस होना, निमोनिया हो जाना या फेफड़ों में सूजन जैसे लक्षण हो सकते हैं। बूढ़े व्यक्तियों के लिए यह वायरस और घातक हो सकता है, क्योंकि जवान लोगों की तुलना में बूढ़े लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है। विशेषज्ञों ने हाल ही में कोरोना वायरस के जीन अनुक्रम को डिकोड किया जिसे 2019-एनसीओवी का नाम दिया गया है। ऐस में इस तरह की दिक्कत महसूस होते ही डॉक्टर से मिलें। कोरोना वायरस को 1960 के दशक में पहली बार खोजा गया था। उसकी मुकुट जैसी आकृति की वजह से उसे कोरोना या क्राउन नाम दिया गया।

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