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हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा के गोल्ज्यू मंदिर विवाद में दखल देने से किया इनकार, मामले को सिविल कोर्ट भेजा

अल्मोड़ा के प्रसिद्ध गोल्ज्यू मंदिर प्रबंधन विवाद में हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

साथ ही हाईकोर्ट ने मामले के अंतिम निपटारे के लिये सिविल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया है। तब तक मंदिर का प्रबंधन जिला प्रशासन की अगुवाई में बनाई गई कमेटी करेगी। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता दीपक रूबाली की ओर से दायर जनहित याचिका पर इसी साल चार मार्च को अहम आदेश जारी कर मंदिर का प्रबंधन जिला प्रशासन की अगुवाई में गठित कमेटी के हाथों में दे दिया था।

इसके बाद प्रशासन की ओर से इस मामले में एक कमेटी का गठन कर दिया गया था। इसके बाद मंदिर का संस्थापक परिवार आगे आया और उसने चार मार्च के आदेश को पुनर्विचार याचिका के माध्यम से चुनौती दी। संध्या पंत की ओर से ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि जिला अधिकारी की अगुवाई में बनाई गई प्रबंधन कमेटी मंदिर के धार्मिक कार्यों एवं अनुष्ठानों में हस्तक्षेप किया जा रहा है और इसे भंग किया जाए।

याचिकाकर्ता की ओर से ये भी कहा गया कि उनके परिवार की ओर से साल 1919 में गोल्ज्यू मंदिर की स्थापना की गई थी। तभी से उनका परिवार मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान एवं प्रबंधन करता आआ है। कमेटी की ओर से मदिर में नये पुजारी की नियुक्ति की जारी रही है। याचिकाकर्ता की ओर से ये भी कहा गया है कि कमेटी निष्पक्ष नहीं है और इसमें जनता का प्रतिधित्व नहीं है। कमेटी के सभी पदों पर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इस मामले में उनका पक्ष नहीं सुना गया इसके बाद अदालत ने पर्यटन सचिव एवं जिला अधिकारी अल्मोड़ा से जवाब मांगा था।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने गुरुवार को मामले को सिविल कोर्ट स्थानांतरित करते हुए कहा कि सिविल अधिकारों के मामलों को जनहित याचिका के माध्यम से निर्णित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही तब तक मंदिर का प्रबंधन जिला प्रशासन की अगुवाई में बनाई गई कमेटी के हाथ में ही रहेगा।

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