अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष: उत्तराखंड की दो बेटियों की कहानी, जो दूसरों के लिए मिसाल बन गई
पूरी दुनिया आज महिला दिवस मना रही है। महिलाओं को सम्मानित कर रही है। इस महिला दिवस पर हम आपको उत्तराखंड की उन दो महिलाओं की कहानी बताते हैं जो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं।
उत्तराखंड की पहली बेटी है पौड़ी की रहने वाली याशिका नयाल। जिन्होंने अपने योगदान से पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है। याशिका नयाल भारतीय सेना में कमीशन लेकर अफसर बन गई हैं।
याशिका नयाल का सफर
पट्टी के भैंसकोट गांव से तालुल्क रखने वाली याशिका बचन से ही सेना में भर्ती होना चाहती थीं। अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत की और आखिरकार इसे हकीकत में बदलने में सफल रहीं। पासिंग आउट परेड में जब उनके माता-पिता बेटी के कंधों पर सितारे सजा रहे थे, तो याशिका के चेहरे की चमक देखने लायक थी। हो भी क्यूं ना, उत्तराखंड की इस बेटी की आंखों ने बचपन में जो सपना देखा था, वो पूरा जो हो रहा था। याशिका की ये सफलता पहाड़ की दूसरी बेटियों को भी सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करेगा।
आपको बता दें कि पहले सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत नौकरी करने वालीं महिला अफसरों को 14 साल की नौकरी के बाद वापस भेज दिया जाता था। इस वजह से उन्हें पुरुषों के की तरह पेंशन और दूसरी सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं। लेकिन अब सेना में महिला अफसरों के सिए स्थायी कमीशन की राह खुल गई है। जिसके बाद सेना शिक्षा कोर, सिग्नल, मैकेनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर, आर्मी एविएशन, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर, आर्मी एयर डिफेंस और इंटेलिजेंस कोर में कार्यरत महिला अधिकारी भी स्थायी कमीशन हासिल कर सकेंगी। उन्हें पेंशन का भी फायदा मिलेगा। पेंशन के लिए अफसरों का 20 साल और जवान के लिए 15 साल तक नौकरी करना जरूरी है।
दीपा शाह की कहानी
अब बात उत्तराखंड के दीपा शाह की। जिन्होंने अपनी बीमारी की वजह से जिंदगी में ना जाने कितनी मुश्किलें झेलीं, ना जाने कितनी परेशानियां उठाई। एक वक्त ऐसा भी आया जब उनके पास इलाज के लिए पैसे भी खत्म हो गए। लेकिन वो कहते हैं ना भगवान कोई ना कोई जरिया लगाकर हर किसी के दिन बदलता है। दीपा शाह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहारा मिला।
दीपा शाह को सरकार की जन औषधि परियोजना से फायदा मिला। दीपा शाह को महंगी दवाइयां बेहद सस्ती मिलने लगी और उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे सुधरने लगा। अब अब वो पूरी तरह से स्वस्थ हो गई हैं। इसके बाद उन्होंने सरकार की इस योजना के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उनका धन्यवाद करने की ठान ली। दीपा शाह की जिंदगी में ये वक्त भी आया 7 मार्च को। प्रधानमंत्री वीडयो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये देश को संबोधित कर रहे थे उस वक्त दीपा शाह ने अपनी कहानी प्रधानमंत्री को बताई। उनकी तकलीफें सुन कर पीएम की आंखों में भी आंसू आ गए।
दीपा शाह को क्या हुआ था?
दीपा शाह को साल 2011 में पैरालाइसिस का अटैक पड़ा था। शुरुआत में उन्होंने अपना इलाज कराया, लेकिन दवाईयां बहुत महंगी आती थी। एक वक्त ऐसा भी आया कि उनके पास दवाईयां खरीदना का पैसा नहीं बचा। लेकिन प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के बाद उन्हें बेहद सस्ते दामों में दवाईयां मिलने लगी। अब वो इलाज करा कर ठीक हो चुकी हैं। दीपा ने पीएम मोदी को धन्यवाद करते हुए कहा कि मोदी जी मैंने ईश्वर को तो नहीं देखा लेकिन मैंने आपको ईश्वर के रूप में देखा है। दीपा की कहानी हमें ये बात बताती है कि हमें हार नहीं माननी चाहिए। एक ना एक दिन हर किसी के अच्छे दिन जरूर आते हैं बस उम्मीदें तलाशते रहना चाहिए।