उत्तराखंडNews

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान से बड़ा खुलासा! जानिए उत्तराखंड में तबाही के लिए कौन है जिम्मेदार

उत्तराखंड में मॉनसून आने के बाद से अलग-अलग हिस्सों में भारी तबाही हुई है। प्रदेश में मूसलाधार बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है।

भारी बारिश के बाद राज्य की नदियां उफन हैं। मूसलाधार बारिश और बादल फटने से राज्य में नदियों के किनारे बसे लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। रविवार को उत्तरकाशी में बादल फटने से भारी तबाही हुई। 17 लोगों की जान चली और माल को भी भारी नुकसान पहुंचा। अब तक नदियों के किनारे बने कई घर काल के गाल में समा चुके हैं। ऐसे में सवाल ये कि आखिर तबाही के लिए कौन जिम्मेदार है?

प्रकृति के अपने नियम हैं, जाहिर है इसे बदला नहीं जा सकता है। कुछ नियम राज्य सरकार ने भी बना रखे हैं, जिसका जिक्र मंगलवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि नदियों के किनारे बने घरों को इस आपदा में ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि नदियों के किनारे घर बनाए जाने पर रोक है। ऐसे में सवाल ये कि अगर राज्य में नदियों के किनारे घर बनाने पर रोक है तो घर आखिर किसने बनने दिए?

प्रदेश में कानून को पालन कराने की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की होती है, जो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, और नतीजा ये कि नदियों के किनारे बसे लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। ऐसे में देखा जाए तो सीधे तौर पर नदी किनारे बसे लोगों को हो रहे नुकसान के लिए पुलिस और प्रशासन जिम्मेदार है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ये भी कहा कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। अगर लोग जागरूक हो जाएंगे तो नदियों के किनारे घर नहीं बनाएंगे और अपदा के दौरान तबाही से बच जाएंगे। ये लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वो नदी किनारे घर न बनाएं और सुरक्षित अपनी जिंदगी जिएं। वहीं, सरकार की ये जम्मेदारी है कि वो पुलिस और प्रशासन पर लगाम कसे, ताकि भविष्य में नदियों के किनारे बनाए जा रहे घरों पर रोक लगाई जाए और अपदा से हो रहे जान-माल के नुकसान से बचा जा सके।

उत्तराखंड में अलकनंदा, भागीरथी और मंदाकिनी समेत कई नदियां बहती हैं। इन नदियों के किनारे लोगों ने अपने घर बना रखे हैं। 2013 में आई आपदा गवाह कि कैसे नदियों के किनारे बने घर बड़े पैमाने पर तबाह हो गए थे और सैकड़ों लोगों की जनें चलई गई थीं। रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी के किनारे भीषण तबाही मची थी। उस तबाही से भी लोगों ने कोई सीख नहीं ली। एक कहावत है कि ‘जब जागो तभी सवेरा’। नदियों के किनारे अपने घर न बाएं, सुरक्षित रहे और सुरक्षित जिएं।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from News Nukkad

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading