बाबा केदारनाथ का दरबार फूलों से सज गया है। मंदिर को गेंदा के फूलों से सजाया गया है। बुधवार सुबह मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग द्वारा बाबा की समाधि पूजा के साथ अन्य सभी धार्मिक औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।
इसके बाद सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर मेष लग्न में धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खुल जाएंगे। इसके बाद अगले छह महीने तक बाबा केदार की धाम में ही पूजा-अर्चना होगी। यात्राकाल के लिए बाबा केदार की पूजा-अर्चना के लिए जरूरी पूजा का सामा भी धाम पहुंच चुका है।
मंदिर के आसपास बर्फ की कटाई की जा चुकी है। साथ ही चार फीट के करीब चौड़ा रास्ता भी बना दिया गया है। इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से आम श्रद्दालुओं के मंदिर आने पर पाबंदी है। यहां तक कि कपाटोद्घाटन समारोह भी बहुत ही हल्के स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के बाद हालात सामान्य होने के बाद ही यात्रा संचालन पर कोई भी फैसला किया जाएगा।
आपको बता दें कि मध्य हिमालय में 11750 फीट की ऊंचाई पर मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम पर विराजमान भगवान आशुतोष के ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम करोड़ों श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि धाम का नर-नारायण, पांडवों और आदि गुरू शंकराचार्य की भक्ति और तप से सीधा संबंध है।