फोटो: सोशल मीडिया
उत्तराखंड समेत पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा ऐलान किया है।
मीडिया से बात करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में रह रहे शरणार्थियों को जल्द ही सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हाल के सालों में आए करीब 200 परिवार सीएए के दायरे में आ रहे हैं, जिन्हें नागरिकता हम देंगे।
मुख्यमंत्री ने सीएए का विरोध करने पर कांग्रेस समते दूसरे दलों पर निशाना साधा। उन्होंने आजादी के आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि बाल गंगाधर तिलक के अध्यक्ष बनने से पहले कांग्रेस ने कभी भी देश की आजादी के लिए प्रस्ताव पारित नहीं किया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीएए के तहत शरणार्थियों को नागरिकता दी जानी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ये बताना चाहिए कि देश में आए लोगों को शरण दी जाए या नहीं। उन्होंने कहा कि भारत में राजवंशों के काल से ही शरणागत को आश्रय देने की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि जब हिटलर ने यहूदियों को जिंदा जलाने की कोशिश तो दूसरे देशों ने यहूदियों को अपने देश दाखिल नहीं होने दिया, लेकिन भारत ने उन्हें आश्रय दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर किया तो भारत ने तिब्बत वासियों को भी शरण दी। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे यहां तिब्बती शांति से रह रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद समेत आजादी के आंदोलन से जुड़े कई कांग्रेस नेताओं के नेताओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन नेताओं ने भी पाकिस्तान समेत अन्य देशों से आए शरणार्थियों को देश में आश्रय देने का समर्थन किया था।
हालांकि, सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने ये नहीं बताया कि अगर भारत सदियों से हिंदू, मुस्लिम या किसी दूसरे धर्म के शरणार्थियों को शरण देने में कोई भेदभाव नहीं किया तो आखिर इस कानून में भेदभाव क्यों किया जा रहा है। आखिर मुस्लिम शरणार्थियों को इस कानून के तहत नागरिकता क्यों नहीं दी जा रही है? आखिर अब क्यों हिंदू और मुस्लिम के नाम पर भेदभाव किया जा रहा है?
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