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उत्तराखंड ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को दी खुशखबरी!

स्नो लेपर्ड दुनिया के सबसे खूबसूरत और दुर्लभ जीवों में से एक है। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में स्नो लेपर्ड का कुनबा बढ़ रहा है, जो कि जैव विविधता के लिहाज से शुभ संकेत है।

प्रदेश में लंबे वक्त से हिम तेंदुओं की गणना और इस दुर्लभ जीव को बचाने की कोशिशें चल रही थीं, इन कोशिशों के सफल नतीजे भी अब देखने को मिले हैं। राज्य में हिम तेंदुओं की तादाद बढ़ गई है। 23 अक्टूबर को विश्व हिम तेंदुआ दिवस से ठीक पहले वन विभाग ने इन्हें लेकर आंकड़े जारी किए है, जिसके अनुसार राज्य में करीब 121 हिम तेंदुए हैं। 2016 में एक आकलन के दौरान इनकी संख्या 86 के आसपास थी।

वन विभाग पिछले एक साल से इनकी गणना के काम में जुटा था। पहली बार इनका सही आकलन कर अहम डाटा बैंक भी तैयार किया गया है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रदेश में हिम तेंदुओं की बढ़ती आबादी पर प्रदेशवासियों, वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों एवं इस कार्य में लगे गैर सरकारी संगठनों को बधाई दी है। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने बताया कि राज्य में हिम तेंदुए के लिये उपलब्ध क्षेत्रफल को 12764.35 वर्ग किमी अगणित किया गया है।

गणना 2 चरणों में संपन्न की गयी है। जिसमें गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव विहार, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, नन्दा देवी बायोस्फियर के उच्च स्थलीय क्षेत्र तथा उत्तराखण्ड के ट्रांस हिमालयी क्षेत्र शामिल किए गए। इस वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड में हिम तेंदुओं की अनुमानित संख्या 121 आंकी गई। हिम तेंदुए राज्य के 3000 मीटर की ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्र में रहते हैं। कैमरा ट्रैप में हिम तेंदुओं की गतिविधियां अक्सर नजर आती हैं। उत्तरकाशी की नेलांग वैली में भी हिम तेंदुओं यानी स्नो लेपर्ड को कई बार देखा गया है।

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