उत्तराखंड में चमोली जिले के गैरसैंण के मटोक गांव में अज्ञात बीमारी से बीते एक महीने में 6 लोगों की मौत हो चुकी है।

गांव के लोग दहशत में हैं। लोगों का कहना है कि सिरदर्द और बुखार के बाद कमजोरी मसहूस होती है। इसकी गिरफ्त में आए लोग दम तोड़ रहे हैं। खबरों के मुताबिक, 50 से ज्यादा लोग बीमार हैं, जिन्हें श्रीनगर और हल्द्वानी के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई लोगों को गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। इलाके के लोगों का आरोप है कि चिकित्सा विभाग लापरवाही बरत रहा हैं। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों में संक्राम बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि शिविर के जरिए लोगों का इलाज किया जा रहा है।

मटकोट गांव का आलम ये है कि गांव के ज्यादातर बच्चे और बड़े बीमारी की चपेट में आकर बिस्तर पर पड़े हुए हैं। मौजूदा समय की बात करें तो गांव की आबादी करीब 500 है। वहीं 150 से ज्यादा लोग बीमार बताए जा रहे हैं, जिन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है। गांव के जो संपन्न परिवार हैं वो श्रीनगर और हल्दवानी के अच्छे अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, लेकिन गरीबों के लिए बड़ी परेशानी हैं। उन्हें गैरसैंण के सरकारी अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ रहा है। लोगों का आरोप है कि बीमार से जूझ रहे मरीजों को सरकारी अस्पताल में दवइयां नहीं मिल पा रही हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र में दवाइयों की कमी है।

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गांव के लोगों का ये भी आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो शिविर लगाए जा रहे हैं उनकी सूचना पहले से लोगों को नहीं दी जा रही है। सीएचसी गैरसैंण के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मणि भूषण पंत ने बताया कि गांव में बीमारी से मरने वालों की उन्हें कोई सूचना नहीं है। गांव वालों के आरोप पर उन्होंने कहा कि हर महीने दूरस्थ इलाकों में नियमित शिविर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मटकोट गांव में 74 से ज्यादा मरीजों की जांच की गई, जिनमें किसी भी प्रकार के संक्रामक बीमारी के लक्षण सामने नहीं पाए गए। उनका कहना है कि मौसम में परिवर्तन और स्वच्छता की कमी की वजह से गांव के लोग बीमर पड़ रहे हैं।

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