उत्तराखंड में 21 महिलाओं को तीलू रौतेली अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है। जिसमें अल्मोड़ा की प्रीति भंडारी को भी नाम शामिल हैं।
प्रीति ने अल्मोड़ा में सफलता पूर्वक मशरूम की खेती कर स्वालंबन का मुकाम हासिल किया है। प्रीति भंडारी ने अपने घर में या फिर किराये के कमरे लेकर मशरूम का उत्पादन किया।है। इसके साथ ही कई युवाओं और महिलाओं को ट्रेनिंग देकर स्वरोजगार की तरफ प्रेरित कर रही हैं। प्रीति के मुताबिक उन्होंने पांच साल पहले एक छोटे से कमरे में सिर्फ 20 बैगों से मशरूम उगाने का काम शुरू किया था। शुरुआत में ना ही तो उन्होंने ट्रेनिंग लिया था और ना ही कोई अनुभव था उनके पास। प्रीति मशरूम उगाने के बाद उसे मार्केट में उपलब्ध कराना भी एक चुनौती थी, लेकिन पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद आज प्रीति तीन स्थानों पर मशरूम उगाती है।
प्रीति ने बताया कि बटन और ढिंगरी दोनो ही तरह के मशरूम को वो अच्छे से उगा रही हैं। मार्केट में उनके मशरूम की साख है साथ ही जिस सीजन में ज्यादा उत्पादन होता है, उस सीजन में वो उसका अचार भी बनाती हैं. अचार की आपूर्ति दिल्ली जैसे बढ़े शहरों में भी करने लगी हैं। प्रीति खुद तो उगाती ही हैं मशरूम वो दूसरों के इसकी ट्रेनिंग भी देती हैं। उनकी इसी उद्यमशीलता को देखते हुए सरकार ने उन्हें इस बार का तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चयनित किया है।
प्रीति भंडारी कहती हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। हां यह बात भी याद रखनी होगी कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होती। एक सफलता के पीछे मेहनत का लंबा अध्याय होता है। उन्होंने बताया कि मशरूम कल्टीवेशन से ही वो महीने का 25-30 हजार रुपये कमा लेती हैं।
हरीश भंडारी की रिपोर्ट
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