उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां के कण-कण में देवों का वास है।
हर कुछ किलोमीटर की दूरी पर देवी-देवताओं को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। देवी-देवताओं के आह्वान के लिए अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। ऐसी एक मान्यता उत्तरकाशी के मोरी तहसील के सुदूरवर्ती इलाके में भी है। यहां हर साल इस मौसम में आराध्य देव सोमेश्वर देवता का देवगति फाल्गुन मेला लगता है। मेले में भगवान सोमेश्वर क्षेत्र के 22 गांव में घूमकर ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं। इन गांव में भगवान सोमेश्वर के स्वागत में एक दिवसीय दीपक दिया जाता है।
यहां समेश्वर देवता को विशेष तौर पर पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि देव डोली से जो भी मांगते हैं वो मनोकामना पूरी हो जाती है। गांव के लोगों के मानना है कि देव डोली के आशीर्वाद से बड़ी से बड़ी बीमारी, दुख सब ठीक हो जाते हैं। आराध्य देव के अपने गांव पहुंचने पर वहां के लोग देव डोली के साथ लोकनृत्य करते हैं। मोरी के इन गांवों में देवगति फाल्गुन मेला धूमधाम से मनाया जा रहा है।
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