यूपी: बिजनौर के किसानों ने मांगा हक तो मिली लाठी, अन्नदाता की बात करने वाले ‘खद्दरधारी’ कहां गए?
सत्ता पक्ष और विपक्ष में इस बात की होड़ मची है कि किसानों की नजर में खुद को कौन कितना बेहतर साबित कर सकता है। इस बीच देश के किसानों की हालत जस की तस बनी हुई है।
किसानों की हालत बदतर है, इसकी एक बनागी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में देखने को मिली। सोमवार को गन्ना किसान कलेक्ट्रेट के बाहर अपनी आवाज बुलंद करने पहुंचे थे। गन्ना के भुगतान नहीं मिलने पर शिकायत करने पहुंचे थे। लेकिन उनकी फरियाद सुनने की बजाय पुलिस ने उनके ऊपर लाठीचार्ज कर दिया।
कड़ाके की ठंड थी ऊपर से पुलिस ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर किसानों को पहले भिगोया। इसके बाद लाठीर्चाज कर दिया। जैसे ही लाठीचार्ज हुआ मौके पर भगदड़ मच गई। पुलिस शिकारियों की तरह किसानों के पीछे भाग रही थी। किसान आगे-आगे पुलिस पीछे-पीछे। जहां तक किसान भागे पुलिस ने पीछा किया और दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पुलिस-प्रशासन का कहन है कि किसान उग्र हो रहे थे, इस लिए उनके ऊपर लाठीचार्ज किया गया।
Police baton charged sugarcane farmers led by Azad Kisan Union protesting outside Collector office in Bijnor alleging non-payment of dues. (Earlier visuals) pic.twitter.com/lelecsL5to
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 4, 2019
फटे-पुराने कपड़े, टूटा चप्पल, कंपा देने वाली इस सर्दी में बदन पर ठीक से स्वेटर भी नहीं। इस बेबसी के आलम में किसान अपना हक मांगने गए थे। हाथ में भी कुछ नहीं था। फिर भी पुलिस को किस बात का डर था ये तो वो खुद ही बता सकती है। भूखे किसान को उसका हक न मिले तो क्या वो गुस्सा भी नहीं कर सकता है।
किसानों के लिए 17 रुपये प्रतिदिन की राशि देने का ऐलान कर केंद्र की सरकार अपना पीठ थपथपा रही है। यूपी में उसी बीजेपी की सरकार में किसानों का ये हाल है। 17 रुपये का ऐलान करने वाली सरकारें किसानों की मेहनत का पैसा नहीं दे पा रही हैं और बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं। हाड़ कंपा देने वाली इस सर्दी में लाठी की चोट किसानों को हमेशा याद रहेगी। चुनाव करीब है और फैसला भी इन किसानों को ही करना है।
किसानों पर लाठीचार्ज ऐसे समय में किया गया है, जब उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने खुद कहा है कि 31 जनवरी, 2019 तक गन्ना की कीमतों का बकाया करीब 20 हजार करोड़ रुपये हो गया है। एसोसिएशन के मुताबिक, चालू चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में आगे 3 महीने की पेराई की रफ्तार को ध्यान में रखा जाए तो बकाया रकम में और बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में क्या इन सरकारों को किसानों पर लाठीचार्ज करने की बजाय बकाया भुगतान के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहिए?