उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में हो रही बर्फबारी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। पहाड़ी इलोकों में हर तरफ बर्फ की चादर बिछ गई है।
बर्फबारी जहां पर्यटकों के लिए मौज-मस्ती लेकर आई है, तो कई लोगों के मुसीबत बन गई है। बताया जा रहा है कि टिहली जिले में 1966 के बाद इतनी ज्यादा बर्फबारी हुई है। वहीं पीपलडाली, चाह-गडोलिया, चमियाला, बूढ़ाकेदार, टिपरी, कांडाखाल जैसी जगहों पर सालों बाद लोगों ने इस तरह की बर्फबारी देखी है।
पर्यटन नगरी धनोल्टी में दो फीट से अधिक बर्फ जमी है। घनसाली, बूढ़ाकेदार इलाके में भी लोगों ने इतनी ज्यादा बर्फबारी देखी है। उत्तरकाशी में 2-4 फीट तक बर्फ जम गई है। शहरी क्षेत्रों के लोग और यहां पहुंच रहे पर्यटकों के चेहरे मौसम के इस रुख से खिल गए हैं, जबकि बर्फ की आगोश में कैद गांवों में ग्रामीणों को दुश्वारियों बढ़ गई है।
पौड़ी में साल 2012 के बाद इतनी ज्यादा बर्फबारी हुई है। पौड़ी के साथ ही मांडाखाल, कंडोलिया, नागदेव सहित अनेक स्थानों में जमकर बर्फबारी हुई है। राजधानी देहरादून के अंदर आने वाले जौनसार बावर की ऊंची चोटियों पर हुए हिमपात ने 40 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। घाटी में बसे त्यूनी में करीब 40 साल बाद बर्फबारी देखने को मिली है। यहां पर आखिरी बार 80 के दशक में हिमपात हुआ था। इसके साथ ही अलसी गांव में करीब 30 साल के बाद बर्फबारी हुई।
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