पिथौरागढ़: पहले आसमान से बरसी आफत ने सबकुछ किया तबाह, अब पीड़ितों के जख्मों पर छिड़का जा रहा नमक!
पिथौरागढ़ में इस साल बारिश के मौसम में आसमान से बरसी आफत से मुनस्यारी तहसील में भारी तबाही मची थी।
15 गांव के सैकड़ों परिवारों के आशियाने उजड़ गए थे। 9 हजार नाली उपजाऊ जमीन भी नष्ट हो गई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1200 से ज्यादा परिवार ऐसे हैं, जिनकी उपजाऊ जमीन आसमान से बरसी आफत में तबाह हो गए। आरोप है कि अब पीड़ितों को ठीक से मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।
एक नाली जमीन की कीमत मात्र 136 रुपये तय की गई है, जबकि उसी जमीन के सर्किल रेट 50 हजार से लेकर 5 लाख तक है। प्रशासन ने अब तक 90 फीसदी से ज्यादा प्रभावितों में मुआवजा भी बांट दिया है। आरोप है कि लेकिन ये प्रभावित परिवार नाममात्र की मदद से खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि आपदा प्रभावितों की तबाह हुई खेती की जमीन का जो मुआवजा मिल रहा है, वो ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है। हिमालयी इलाकों की सोना उगलने वाली जमीन की भरपाई के लिए जो मदद प्रभावितों को दी गई है, उससे ग्रामीण बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हैं। लोगों की मांग है कि राहत के मानकों में बदलाव किया जाए, ताकि प्रभावितों को राहत मिल सके।