उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अगस्त्य मुनि स्थित जिला विकास कार्यालय में तैनात कुवंर सिंह रावत को दोबारा सेवा में बहाल कर दिया है और वेतन का लाभ भी दिया है।
रुद्रप्रयाग जिलके के अगस्त्य मुनि में डीडीओ कार्यालय में प्रधान लिपिक कुंवर सिंह रावत ने याचिका दाखिल कर कहा कि वो 2015 में पक्षाघात का शिकार हो गए थे। सरकार ने उन्हें 2018 में बैड एंट्री देते हुए 2019 में अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया।
सरकार के इस कदम को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी। मामले की सुनवाई न्यायाधीश लोकपाल सिंह की पीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार का ये कदम असंवैधानिक है। कोर्ट आदेश के मुताबिक, शारीरिक रूप से अक्षम सरकारी से सेवक को पद से हटाया नहीं जा सकता है।
याचिकाकर्ता के वकील एस.के. पोस्ती एवं आशुतोष पोस्ती ने बताया कि मामले की सुनवाई कल न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की पीठ में हुई। कोर्ट ने अंत में सरकार के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को सेवा में बहाल कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस अवधि का वेतन का लाभ भी दिया है।

