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उत्तराखंड को देवभूमि क्यों कहा जाता है, इन बातों को जानते हैं आप?

उत्तराखंड को उसकी खूबसूसरती की वजह से जाना जाता है और उसकी पहचान एक धर्म नगरी के तौर पर होती हैं। ऐसा इसलिये है क्योंकि एक तरफ जहां पहाड़ों की सौंदर्यता लोगों को अपनी ओर मोहित करती है।

वहीं दूसरी तरफ कई धर्म स्थल होने की वजह से यहां साल के बारहों महीने भक्तों का तांता लगा रहता है। धर्म नगरी होने की वजह से ही इसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड को अपनी एक अलग पहचान उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद मिली और तभी उसे अपना नया नाम भी मिला, लेकिन देवों की भूमि तो ये हजारों साल पहले से ही है। ऐसा कहा जाता है कि ऋषि मुनियों ने सैकड़ों सालों की तपस्या करके इसे दिव्यभूमि बनाया है। जिसका वैभव पाने के लिए श्रद्धालु सैकड़ों मीलों का रास्ता तय करके अपने भगवान के दर्शन को आते हैं। देवभूमि जिसकी हवा में ही है गंगा आरती की सुगंध और शाम स्वयं में समेटे है ढेर सारी शीतलता।

वैसे तो भारत को देवी-देवताओं की भूमि कहा जाता है, क्योंकि पूरे भारत में देवताओं, देवियों और महान ऋषियों ने जन्म लिया। लेकिन उत्तराखंड को ही देवभूमि कहलाने का गौरव मिला हुआ है। इसके पीछे कई कहानियाँ भी हैं और बहुत सारी सत्यता है। भारत में नदियों को भगवान का दर्जा दिया जाता है और देश में सबसे विशाल और पवित्र नदियां देवभूमि उत्तराखंड से निकलती हैं। गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड ही है।

ऐसा कहा जाता है कि पाण्डवों से लेकर कई राजाओं ने तप करने के लिए देवभूमि हो ही चुना। ध्यान लगाने के लिए महात्मा इस जगह को सबसे उपयुक्त मानते थे। कई साधुओं ने यहां स्तुति कर सीधा ईश्वर की प्राप्ति की है। पाण्डव अपने अज्ञातवास के समय उत्तराखंड में ही आकर रुके थे। आपको बताते हैं कि उत्तराखंड के बड़े धार्मिक स्थल के बारे में।

केदारनाथ
चारधाम की यात्रा का पहला पड़ाव है केदारनाथ का मंदिर। भगवान केदार की इस यात्रा में दर्शन और आध्यात्म साथ साथ चलते हैं।

बदरीनाथ
चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव बाबा बदरीनाथ का मंदिर है।

हरिद्वार
आप हरिद्वार पहुंचेंगे तो नज़ारे हर जगह मिलेंगे आपको। इसका नाम ऐसे ही हरि का द्वार नहीं पड़ा। हरिद्वार को योग की राजधानी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां ज़्यादा दिन रुके तो फिर यहीं के हो जाएंगे।

ऋषिकेश
ऋषिकेश घूमने और दर्शन, दोनों ही नज़रिए से बहुत ही बढ़िया है। राफ्टिंग हो या गंगा आरती यहां दोनो का ही अपना महत्व है। ऋषिकेश आप ट्रेन से आ सकते हैं। आप चाहें तो ऋषिकेश पहुंचने के लिए सबसे नज़दीकी देहरादून के जौली ग्रैंट हवाई अड्डे की फ़्लाइट भी ले सकते हैं।

गंगोत्री
पहाड़ों के बीच अपना श्रृंगार बखारती है गंगोत्री। चारधाम की यात्रा का एक अहम पड़ाव है। गंगा के उद्गम की ये जगह पावन भी है और बेहद खूबसूरत भी। गंगोत्री तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश रेलवे स्टेशन आना होगा। उसके बाद सड़क के रास्ते आप यहां तक पहुंच सकते हैं।

यमुनोत्री
गढ़वाली पहाड़ियों में अपनी ख़ूबसूरत छटाओं के बीच बसा हुआ है यमुनोत्री। बिल्कुल गंगोत्री की ही तरह चारधाम यात्रा के श्रद्धालु पूरे मन से इसकी यात्रा करने आते हैं। यमुनोत्री तक पहुंचने के लिए आप ट्रेन या हवाई जहाज का सहारा ले सकते हैं।

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