उत्तराखंड: औषधीय गुणों से भरपूर पहाड़ों के ‘काफल’ पर भी लॉकडाउन का असर, फल की खूबियां आपको हैरान कर देंगी
देशभर में लागू लॉकडाउन का असर हर चीजों पर पड़ रहा है। पहाड़ों पर पाए जाने वाला फल काफल भी इससे अछूता नहीं है। लॉकडाउन की वजह से इस बार पहाड़ों पर रहने वाले लोग इसे बेच नहीं पा रहे हैं।
ये पहाड़ों पर रहने वाले लोगों की आजीविका का एक साधन है। पहले लोग इस फल के सीजन में एक दिन में इससे 400-500 रुपये कमा लेते थे, लेकिन इस बार वो इसका कारोबार नहीं कर पा रहे हैं। जिसका असर उनकी आम जिंदगी पर पड़ रहा है। आपको बता दें कि औषधीय गुणों से भरपूर काफल सिर्फ पहाड़ों पर ही पाया जाता है। कमाल की बात ये है कि इसके पौधे के लगाना नहीं पड़ता, ये कुदरती है और खुद से ही पहाड़ों पर उगता है। इसका वैज्ञानिक नाम मिरिका एस्कुलेंटा (Myrica esculata) है। ये उत्तरी भारत के पर्वतीय क्षेत्र, के हिमालय के तलहटी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक सदाबहार पौधा है। ये गर्मियों में उगता है और पहाड़ों में काफी लोकप्रिय है।
काफल के फायदे
ये फल विटामिन से भरा होता है। इसमें आयरन भी भरपूर मात्रा में होता है। ये पहाड़ी फल एंटी ऑक्सीडेंट से भरा होता है। इसका स्वाद खट्टा और मीठा होता है। इस फल में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी पाए जाते हैं। जैसे माइरिकेटिन, मैरिकिट्रिन और ग्लाइकोसाइड्स इसके अलावा इसकी पत्तियों में फ्लावेन -4-हाइड्रोक्सी-3 पाया जाता है।
काफल कई बीमारियों में बहुत फायदेमंद है। एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकाइटिस, जुखाम, अतिसार, बुखार, मूत्राशय रोग और यकृत संबंधी बीमारियां इसे खाने भर से ठीक हो जाती हैं। काफल के पेड़ की छाल, फल और पत्तियां भी औषधीय गुण सेभरी होती हैं। इसकी छाल में एंटी इन्फ्लैमेटरी, एंटी-हेल्मिंथिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल क्वालिटी पाई जाती है। इतने गुण होने की वजह से ये कैंसर जैसी बीमारी को भी सही करने में भी काफी कारगर है। ये आपको खूबसूरती बढ़ाने और जवान बनाए रखनें में भी खूब उपयोग होता है।
फल के ऊपर मोम के प्रकार के पदार्थ की परत होती है और जब इस फल को फल को गर्म पानी में उबाला जाता है तो मोम अलग हो जाती है। ये मोम अल्सर जैसीबीमारी में बहुत कारगर होता है।
मोहन गिरी की रिपोर्ट