जनवरी की ठंड में अगर आप बर्फबारी का मजा लेना चाहते हैं और घूमने का प्लान बना रहे हैं तो तो आपको एक बार उत्तराखंड के तुंगनाथ मंदिर जरूर आना चाहिये।
यहां आपको बर्फबारी के साथ सी ट्रेकिंग का मजा भी ले सकते हैं। इसके अलावा अध्यात्म से भी रूबरू हो सकते हैं। ‘तुंगनाथ’ उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में एक पहाड़ पर है। इसी पर्वत पर स्थित है ‘तुंगनाथ मंदिर’ ।ये भोलेनाथ के पंच केदारों में से एक है।
तुंगनाथ मंदिर के आसपास नवंबर के बाद से ही बर्फ शुरू हो जाती है। और मार्च तक होती है। जनवरी के महीने सबसे ज्यादा बर्फबारी होती है। जहां तक नजरें जाती हैं वहां तक मखमली घास और पर्वत और आसपास बर्फ देखकर यूं लगता है जैसे बर्फ की चादर बिछी हो। यह नजारा इस जगह को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है। साथ ही खिले हुए बुरांश के फूल जिन्हें देखकर आपकी नजरें ही नहीं हटेंगी उनसे।
यूं तो मई से नवंबर तक कभी भी तुंगनाथ के दर्शनों के लिए जा सकते हैं, लेकिन जनवरी और फरवरी का समय यहां लोग आना काफी पसंद करते हैं। ‘तुंगनाथ’ के दर्शन करने के लिए ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर चोपता जाना होगा। इसके बाद ‘तुंगनाथ’ के लिए स्थानीय साधन मिल जाते हैं। इसके अलावा दूसरा रास्ता ऋषिकेश से ऊखीमठ होकर जाता है। ऊखीमठ से भी चोपता जाना होगा उसके बाद ‘तुंगनाथ’ मंदिर के लिए साधन मिल जाते हैं।
कहा जाता है कि इसे पांडवों ने भगवान शिव को खुश करने के लिए स्थापित किया था। इसके पीछे कथा मिलती है कि कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार से भोलेनाथ पांडवों से रुष्ट थे तभी उन्हें प्रसन्न करने के लिए ही इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि माता पार्वती ने भी शिव को पाने के लिए यहीं पर तपस्या की थी।
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