उत्तराखंड के इस इलाके में कई लोगों को निवाला बना चुका ‘आदमखोर’ मारा गया, लोगों ने ली राहत की सांस
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के पपदेव इलाके के ग्रामीणों को आदमखोर तेंदुए से राहत मिल गई है। वन विभाग की टीम ने आदमखोर मादा तेंदुए को मौत के घाट उतार दिया है।
शुक्रवार दोपहर को ग्रामीणों ने तेदुए को पपदेव के जंगल में देखा। इसके बाद लोगों ने वन विभाग को इस बात की सूचना दी। जैसे वन विभाग की टीम को ये खबर मिली की तेंदुआ इलाके में है। शिकारी जॉय अपनी टीम के साथ पपदेव गांव में शुक्रवार शाम करीब 6 बजे पहुंच गए। वन विभाग की टीम मुस्तैद थी। रात में करीब 12.30 बजे गांव में तेंदुआ दिखाई दिया। शिकारी जॉय गांव की एक छत पर घात लगाए बैठे थे। उन्हें जैसे तंदुआ दिखा उन्होंने निशाना लगाया और तेंदुए पर गोली चला दी। जैसे ही पहली गोली तेंदुए को लगी वो लड़खड़ा कर वहीं गिर गया। शिकारी जॉय ने दूसरी गोली चलाई और उसकी वहीं पर मौत हो गई।
तेंदुए के मारे जाने की खबर रात में ही गांव वालों को मिल गई है। आदमखोर तेंदुए के मारे जाने के बाद इलाके के लोगों ने राहत की सांस ली है। रात को ही मृत तेंदुए को वन विभाग की टीम अपने साथ ले गई और उसका पोस्टमॉर्टम किया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, तेंदुआ करीब करीब 8 दिनों से भूखा था। अधिकारियों ने बताया कि तेंदुए के आगे वाले पंजे के नाखून घिस गए थे। पांव का तला भी घिसा हुआ था। यही वजह है कि वो जंगल में शिकार करने में असमर्थ हो गया था और गांव की ओर रुख कर रहा था।
इलाके में इस तेंदुए ने कई महीनों से तांडव मचा रखा था। अब तक कई लोगों को ये अपना निवाला बना चुका था। तेंदुए के आतंक से परेशान लोग दहशत के साथ गुस्से में भी थे। लगातार तेंदुए को आदमखोर घोषित कर उसे मारने की मांग उठ रही थी। पिथौरागढ़, अस्कोट, बेड़ीनाग, धारचूला, डीडीहाट रेंज से 40 वन कार्मिकों की टीम आदमखोर की निगरानी के लिए तैनात की गई थी। पिछले आठ दिनों से तेंदुआ इलाके में नजर नहीं आया था। इससे पहले 3 सितंबर को मोस्टामानू मेले से लौटते समय शाम करीब 7 बजे तेंदुए ने पपदेव की किरन को मौत के घाट उतार दिया था। आदमखोर के मारे जाने के बाद इलाके के लोग ने राहत की सांस ली है।