अयोध्या भूमि विवाद पर जो फैसला आने वाला है उसका इतिहास क्या है, 15 प्वॉन्ट्स में समझिए
अयोध्या भूमि विवाद पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। सुबह 10:30 बजे इस विवाद पर फैसला आएगा। आपको बताते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का इतिहास क्या है?
1. इतिहासकारों का मानना है कि इब्राहिम लोदी से बाबर जंग लड़ने 1526 में भारत आया था। उसका एक जनरल अयोध्या पहुंचा और उसी ने वहां मस्जिद बनाई। जिसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया।
2. 1853 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की। तभी हिंदू समुदाय की तरफ से कहा गया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई।
3. फैजाबाद की जिला अदालत ने 1885 में राम चबूतरे पर छतरी लगाने की महंत रघुबीर दास की अर्जी ठुकराई।
4. भारत की आजादी के बाद 1949 में विवादित जमीन पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई।
5. 1950 में हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की।
6. निर्मोही अखाड़े ने 1959 में विवादित जमीन पर मालिकाना हक जताया।
7 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ अदालत में अर्जी लगाई और मस्जिद के साथ ही आसपास की जमीन पर अपना हक जताया।
8. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 1981 में जमीन के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
9. 1989 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा।
10. साल 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया।
11. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2002 विवादित ढांचे वाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
12. 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया और विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया।
13. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 2011 में अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
14. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
15. 6 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मामले की रोजाना सुनवाई शुरू की।