जब निष्पक्ष चुनाव के लिए सरकार से भिड़ गए थे टीएन शेषन, पढ़िए कैसी थी पूर्व चुनाव आयुक्त की शख्सियत
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेलै नारायण अय्यर शेषन था। वह 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर रहे।
उनको भारत का सबसे प्रभावशाली मुख्य चुनाव आयुक्त माना जाता था। शेषन को चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव किसी को नहीं बख्शा। टीएन शेषन के निधन पर पीएम मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं ने दुख जताया है।
रैमन गैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित
छह भाई-बहनों में सबसे छोटे टीएन शेषन का जन्म केरल के ब्राह्मम कुल में हुआ था। उन्होंने IAS परीक्षा में टॉप किया था। उनके बार में कहा जाता है कि राजनेता सिर्फ दो लोगों से डरते हैं, एक भगवान और दूसरे शेषन। शेषन को चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए याद किया जाता है। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहने के दौरान टी. एन. शेषन का तत्कालीन सरकार और नेताओं के साथ कई बार टकराव हुआ था। इस दौरान चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए वो कभी पीछे नहीं हटे और कानून का कड़ाई से पालन कराया। 1996 में टीएन शेषन को रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।
जब लालू यादव से टीएन शेषन का टकराव हुआ
लालू यादव से भी उनका टकराव हुआ। लालू ने रैलियों में उनके खिलाफ खूब बयानबाजी की लेकिन इसका शेषन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने कई चुनाव रद्द करवाए और बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए सेंट्रल पुलिस फोर्स का इस्तेमाल किया।
चुनाव में पहचान पत्र की शुरुआत कराई
आज हम और आप मतदान के दौरान जिस पहचान पत्र का इस्तेमाल करते हैं उसकी शुरुआत टीएन शेषन की वजह से ही हुई। शुरुआत में नेताओं ने इसका विरोध किया था। नेताओं ने कहा था कि इतनी खर्चीली व्यवस्था संभव नहीं है तो शेषन ने कहा था कि अगर मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाए, तो 1995 के बाद देश में कोई चुनाव नहीं होगा। टीएन शेषन ने कई राज्यों में तो उन्होंने चुनाव इसलिए स्थगित करवा दिए, क्योंकि पहचान पत्र तैयार नहीं हुए थे।