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पुलवामा: आतंक के साये में अमन का पैगाम, 30 साल बाद लौटे कश्मीरी पंडितों के लिए मुस्लिम समुदाय ने खुलवाया मंदिर

जम्मू-कश्मरी के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में CRPF के 40 जवानों की शहाद के बाद वहां पर दहशत का माहौल है।

पुलवामा में भय और आतंक के माहौल के बीच यहां का मुस्लिम समुदाय देश समेत पूरी दुनिया को अमन का पैगाम दे रहा है। पुलवामा से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर अच्छन गांव है। इन दिनों गांव का मुस्लिम समुदाय हिंदू भाइयों के लिए मंदिर की मरम्मत कराने में जुटा है।

30 साल पहले गांव में रहने वाले कश्मीरी पंडितों का परिवार आतंक से छले जाने के बाद पलायन कर चुका था। 30 साल बाद कश्मीरी पंडित रहने के लिए गांव में लौटे हैं। जैसे ही ये खबर गांव के मुस्लिम समुदाय को लगी खुशी से झूम उठे। हिंदू भाई पूजा कर सकें, ऐसे में गांव के मुस्लिम समुदाय ने बंद पड़े 80 साल पुराने मंदिर को खुलवाया और मरम्मत करानी शुरू कर दी। मंदर में सालों पुराना लिंग मौजूद है। मंदिर में अब शिव की प्रतिमा को रखने की तैयारी की जा रही है। मुस्लिम समुदाय चाहता है कि कश्मीरी पंडितों का जो परिवार आतंक के डर से चला गया था, अब वो कहीं न जाए।

दशकों पहले अच्छन गांव आपसी भाईचारे के लिए जाना जाता था। गांव के लोग कहते हैं, वो भी एक दौर था जब गांव के सभी लोग ईद, होली और दिवाली एक साथ मनाया करते थे। लेकिन, न जाने घाटी में किसकी नजर लगी। 30 साल पहले घाटी में आतंक की दस्तक ने गांव के अमन को छीन लिया। एक दौर में इस गांव में 40 कश्मीरी पंडितों का परिवार हुआ करता था। आतंक कश्मीरी पंडितों पर कहर बनकर टूटा। नतीजा ये हुआ कि कश्मीरी पंडितों ने गांव से पलायन कर दिया। दशकों बाद कश्मीरी पंडित गांव लौटे हैं। ऐसे में गांव का मुस्लिम समुदाय फूले नहीं समा रहा। और हर तरीके से उनकी मदद करने के लिए पलकें बिछाए खड़ा है। इस कदम से गांव के मुस्लिम समुदाय ने आतंक के आकाओं को यह पैगाम दे दिया है कि वो चाहे पुलवामा में जितना आतंक फैला लें, लेकिन उनके दिलों से एक दूसरे के लिए मोहब्बत को खत्म नहीं कर सकते।

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