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गाजीपुर बाढ़: चार दिन से फंसे हसनपुर के दलित, राहत से वंचित, भेदभाव का आरोप

Ghazipur flood: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बाढ़ से बेहाल लोगों के लिए राहत वितरण का कार्य तेजी से चल रहा है। प्रशासन की ओर से लंच पैकेट और राशन किट का वितरण तो हो रहा है, लेकिन तहसील क्षेत्र के हसनपुर गांव की दलित बस्ती के लोगों ने प्रशासन पर भेदभावपूर्ण राहत वितरण का गंभीर आरोप लगाया है।

चार दिन से फंसे, लेकिन अब तक नहीं मिली मदद

गांव के पश्चिमी छोर पर स्थित दलित बस्ती के दर्जनों लोग, जिनमें रामभजन राम, अरविंद यादव, अन्तू यादव, महेश राम, बसन्त राम, श्यामनारायण मिस्त्री आदि शामिल हैं, ने बताया कि वे चार दिनों से बाढ़ में फंसे हुए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें न कोई लंच पैकेट मिला है, न राशन।

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन के द्वारा भेजी गई राहत सामग्री गांव के पूर्वी हिस्से में ग्राम प्रधान की निगरानी में सिर्फ “अपने लोगों” में बांटी जा रही है, जबकि दलित बस्ती को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।

पशुओं के चारे का संकट भी गहराया

बाढ़ के कारण पशुओं को गांव के भीतर दूसरे लोगों के घरों पर आश्रय देना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या पशु चारे की कमी बन गई है, जिससे दुधारू पशुओं के रखरखाव में भारी परेशानी हो रही है।

नाव जहां पहुंच सकती है, वहीं पहुंच रही राहत

जब इस विषय में तहसीलदार सुनील कुमार सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “राहत सामग्री का वितरण लगातार किया जा रहा है। जहां बड़ी नावें पहुंच सकती हैं, वहीं तक राहत भेजना संभव है। हर घर तक जाकर पैकेट पहुंचाना व्यावहारिक रूप से मुमकिन नहीं है। यदि किसी को समस्या हो रही है तो वह राहत शिविरों में आ सकता है, जहां भोजन, पानी और चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध है।”

मानवीय संवेदनाएं और प्रशासनिक लाचारी

यह घटना दर्शाती है कि प्राकृतिक आपदाएं केवल पानी का संकट नहीं लातीं, बल्कि सामाजिक असमानताओं और तंत्र की सीमाओं को भी उजागर कर देती हैं। जब एक ही गांव के लोग अलग-अलग व्यवहार का सामना करते हैं, तब विश्वास और तंत्र, दोनों टूटते हैं। (Ghazipur flood)

(यूपी के गाजीपुर से न्यूज़ नुक्कड़ के लिए इजहार खान की रिपोर्ट)

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