उत्तराखंड के मानचित्रकार नैन सिंह रावत पर बनेगी फिल्म, तिब्बत को पैदल नापकर तैयार किया था नक्शा, जानिए उनके बारे में
उत्तराखंड के महान अन्वेषक, सर्वेक्षक और मानचित्रकार नैन सिंह रावत पर फिल्म बनने जा रही है। ये वहीं नैन सिंह हैं जिन्होंने तिब्बत को पैदल नापकर वहां का नक्शा तैयार कर दिया था।
अब उनके जीवन को रुपहले पर्दे पर उतारने की तैयारी है। हिमालय पुत्र पंडित नैन सिंह रावत की कहानी के जरिए अभिनेता टाइगर श्राफ बायोपिक डेब्यू करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि टाइगर श्राफ को निर्देशक अहमद खान ने उन्हें फिल्म ऑफर की है। खबरों के मुताबिक, टाइगर को भी फिल्म की कहानी बेहद पसंद आई है। जल्द ही फिल्म की लोकेशन की तलाश शुरू की जाएगी। फिल्म की ज्यादातर शूटिंग उत्तराखंड में ही होगी।
खबरों के मुताबिक, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने निर्देशक अहमद खान को नैन सिंह रावत के बारे में जानकारी दी थी। अहमद खान को कहानी काफी काफी पसंद आई। उन्होंने नैन सिंह रावत के जीवन पर फिल्म बनाने का का फैसला किया। इस संबंध में नैन सिंह के परिवार से फिल्म के राइट्स लेने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी करने के बाद फिल्म की शूटिंग शुरू होगी।
कौन थे नैन सिंह रावत?
नैन सिंह रावत (1830-1895) 19वीं शताब्दी के उन पंडितों में से थे जिन्होंने अंग्रेजों के लिए हिमालय के क्षेत्रों की खोजबीन की। नैन सिंह कुमाऊं घाटी के रहने वाले थे। उन्होंने नेपाल से होते हुए तिब्बत तक के व्यापारिक मार्ग का मानचित्रण किया। उन्होंने ही सबसे पहले ल्हासा की स्थिति और ऊंचाई ज्ञात की और तिब्बत से बहने वाली मुख्य नदी त्सांगपो के बहुत बड़े भाग का मानचित्रण भी किया।
पंडित नैन सिंह रावत का जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील स्थित मिलम गांव में 21 अक्तूबर 1830 को हुआ था। उनके पिता अमर सिंह को लोग ‘लाटा बुढा’ के नाम से जानते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हासिल की। आर्थिक तंगी की वजह से वो पिता के साथ भारत और तिब्बत के बीच चलने वाले पारंपरिक व्यापार से जुड़ गए। इससे उन्हें अपने पिता के साथ तिब्बत के कई स्थानों पर जाने और उन्हें समझने का मौका मिला। उन्होंने तिब्बती भाषा सीखी, जिससे आगे उन्हें काफी मदद मिली। हिन्दी और तिब्बती के अलावा उन्हें फारसी और अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान था। इस महान अन्वेषक, सर्वेक्षक और मानचित्रकार ने अपनी यात्राओं की डायरियां भी तैयार की थी। उन्होंने अपनी जिंदगी का ज्यादातर समय खोज और मानचित्र तैयार करने में बिताया।