राजू श्रीवास्तव का हार्ट अटैक के बाद दिल्ली एम्स में इलाज जारी, एंजियोप्लास्टी की गई, जानें क्या होती है एंजियोप्लास्टी?
कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को हार्ट अटैक आने के बाद उनका दिल्ली एम्स में उनका इलाज जारी है।
अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें बुधवार को दिल्ली एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया जा रहा है कि दिल्ली के एक जिम में वर्कआउट के दौरान राजू ट्रेड मिल पर कसरत करते समय वह गिर पड़े थे। वह बेहोश हो गए थे। इसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में राजू श्रीवास्तव की एंजियोप्लास्टी की गई है।
क्या होती है एंजियोप्लास्टी?
एंजियोप्लास्टी एक ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें हृदय की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं को खोला जाता है। मेडिकल भाषा में इन रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी आर्टरीज कहा जाता है। डॉक्टर अक्सर दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी समस्याओं के बाद एंजियोप्लास्टी की मदद लेते हैं।
इस प्रक्रिया को पर्क्यूटेनियस ट्रांस्लुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी भी कहा जाता है। डॉक्टर एंजियोप्लास्टी के बाद कई मामलों में कोरोनरी आर्टरी स्टेंट भी रक्त वाहिकाओं में डालते हैं। यह स्टेंट नसों में रक्त प्रवाह को फिर से दुरुस्त करने का काम करता है। दिल का दौरा पड़ने के बादएक से दो घंटे के भीतर मरीज की एंजियोप्लास्टी की जाती है। एक घंटे के भीतर मरीज को एंजियोप्लास्टी मिलने से मौत का खतरा कम हो सकता है।
तीन प्रकार की होती है एंजियोप्लास्टी:
- बैलून एंजियोप्लास्टी
- लेजर एंजियोप्लास्टी
- एथरेक्टॉमी एंजियोप्लास्टी
बैलून एंजियोप्लास्टी क्या होती है?
बैलून एंजियोप्लास्टी के दौरान कैथेटर नाम की एक पतली ट्यूब को बांह या जांघ के पास हल्का सा चीरा लगाकर उसे ब्लॉक हो चुकी धमनी में डाला जाता है। डॉक्टर एक्स-रे या वीडियो की मदद से वाहिकाओं में जाने वाली ट्यूब की देखरेख करते हैं। कैथेटर के धमनी में पहुंचने के बाद उसे फुलाया जाता है। यह बैलून प्लाक को दबाकर चपटा कर देता है। इससे धमनी चौड़ी हो जोती है और मरीज का ब्लड सर्कुलेशन फिर से ठीक हो जाता है।
क्या होती है लेजर एंजियोप्लास्टी और एथरेक्टॉमी?
लेजर एंजियोप्लास्टी में भी कैथेटर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमें बैलून की जगह लेजर का सहारा लिया जाता है। इसमें लेजर को प्लाक तक लेकर जाते हैं और फिर बंद पड़ी धमनी को वेपराइज कर खोलने की कोशिश की जाती है। वहीं, एथरेक्टॉमी का इस्तेमाल उस समय होता है, जब बैलून या लेजर एंजियोप्लास्टी से भी किसी सख्त प्लाक को न हटाया जा सके।