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दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी, जानें क्या है अन्नदाताओं की आगे की रणनीति

कृषि कानूनों के खिलाफ उत्तराखंड समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।

पिछले तीन दिनों से खराब मौसम के बावजूद किसान संगठनों के नेता और कार्यकर्ता राजधानी की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन जारी रखे हुये हैं। किसान संगठनों ने अपनी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है। इस आन्दोलन को अलग- अलग संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।

किसान आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं। किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया है। गणतंत्र दिवस से पहले 7 जनवरी को 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च का ट्रेलर दिखेगा। इस बात का ऐलान किसानों ने कर दिया है।

इस बीच सोमवार को किसान संगठनों और सरकार के बीच सातवीं दौर की हुई वार्ता में कोई निर्णय नहीं हो सका। वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत बहुत ही अच्छे माहौल में हुई है और उन्हें विश्वास है कि समस्या का समाधान जल्द ही हो जायेगा। उन्हाेंने कहा कि सरकार ने किसानों के समग्र हित को ध्यान में रखकर कृषि सुधार कानूनों को बनाया है और इससे यदि उन्हें कोई परेशानी हो रही है तो सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार है।

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार उन पर बिंदुवार चर्चा करना चाहती है। उन्होंने कहा कि आठ जनवरी को होने वाली बैठक सार्थक होगी और वे समाधान तक पहुंचेगे। दोनों पक्षों के बीच सहमति के बाद वार्ता की अगली तिथि आठ जनवरी तय की गई है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार कृषि सुधार कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करना चाहती है और उसकी मंशा कानून में संशोधन की है जबकि किसान संगठन इन तीनों कानूनों को वापस किये जाने पर अडिग हैं।

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