जानें कौन हैं तीरथ सिंह रावत, जो आज शाम 4 बजे लेंगे उत्तराखंड के सीएम पद की शपथ
पिछले चार सालों से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के एक दिन बाद ही देवभूमि को नया मुख्यमंत्री मिल गया है।
भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरे का नाम तय किया गया। तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। तीरथ सिंह रावत गढ़वाल के सांसद हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इनका नाम प्रस्तावित किया है। आपको बता दें कि तीरथ सिंह रावत के बारे में कहा जाता है कि उनकी मिलनसार और बेदाग छवि उनके लिए फायदेमंद साबित हुई।
आपको बता दें, तीरथ सिंह रावत फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे। वह चौबट्टाखाल से विधायक (2012-2017) भी रहे हैं। मौजूदा समय में तीरथ सिंह रावत बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव के साथ साथ गढ़वाल लोकसभा से सांसद भी हैं। पौड़ी सीट से बीजेपी के उम्मीदवार के अतिरिक्त 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था। तीरथ सिंह रावत वर्ष 2000 में नवगठित उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुने गए थे। इसके बाद 2007 में भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए। इसके बाद प्रदेश चुनाव अधिकारी और प्रदेश सदस्यता प्रमुख रहे। 2013 उत्तराखण्ड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे।
इतना ही नहीं जब त्रिवेंद्र रावत CM बने थे तब भी उनका नाम CM की दौड़ में शामिल था। तीरथ सिंह रावत की संघ में मजबूत पकड़ रही है। तीरथ सिंह रावत आरएसएस से होते हुए बीजेपी में आये और संगठन सचिव बने। इसके पहले वर्ष 1983 से 1988 तक वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। तीरथ सिंह रावत के राजनीतिक सफर की शुरुआत छात्र जीवन में ही हो गई थी। वह हेमवती नंदन गढ़वाल विश्व विधालय में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे।
इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए और विधान परिषद् में विनिश्चय संकलन समिति के अध्यक्ष बनाये गए। तीरथ सिंह रावत को पौड़ी सीट से भारी मतों से लोकसभा का चुनाव जीते थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मनीष खंडूड़ी को 2,85,003 से अधिक मतों से हराया था।