चलो बुलावा आया है…बाबा ने बुलाया है
जुबां पर बम-बम भोले का जयकारा और दिल में बाबा बर्फानी के लिए गहरी आस्था। जम्मू बेस कैंप से रविवार सुबह अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था रवाना हो गया।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के सलाहकार केके शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर यात्रियों को रवाना किया। आतंकी खतरे को देखते हुए इस बार पवित्र अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। खुद गृहमंत्री अमित शाह भी सुरक्षा इंतजामों का जायजा ले चुके हैं।
इस बार करीब डेढ़ लाख से भी ज्यादा लोगों ने अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। यही वजह है कि पूरे रूट पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.। सुरक्षा के लिए आरएफआईडी टैग का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही ड्रोन कैमरे और यूएवी से भी पूरे यात्रा रूट पर नजर रखी जा रही है।
इस बार सालाना अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त तक चलेगी। यात्रा के दौरान किसी भी इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए दस्ते में इस बार मोबाइल एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है। ये एंबुलेंस श्रद्धालुओं से लेकर सुरक्षाकर्मी तक को हर मुमकिन मदद पहुंचाएगी। संजीवनी नाम से सीआरपीएफ का ये दस्ता इमरजेंसी के दौरान यात्रियों को ना सिर्फ फर्स्ट एड देगा बल्कि लैंडस्लाइड की सूरत में घायलों को नजदीकी अस्पताल भी पहुंचाएगा।
अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं पहला पहलगाम के रास्ते जहां से पवित्र गुफा की दूरी करीब 34 किलोमीटर है। दूसरा रास्ता बालटाल से है जहां से अमरनाथ गुफा की दूरी 16 किलोमीटर है। पहाड़ी चढ़ाई होने की वजह से दोनों ही रास्तों पर पैदल चलकर जाना होता है। जम्मू से लेकर बालटाल और पहलगाम तक के रूट की सुरक्षा को सीआरपीएफ के हवाले है। पहलगाम और बालटाल से गुफा तक के रास्तों पर सेना और बीएसएफ भी स्थानीय पुलिस का साथ दे रही है।