अयोध्या जमीन विवाद केस की सुप्रीम कोर्ट में रोज सुनवाई हो रही है। मंगलवार को इस मामले में 18वें दिन भी सुनवाई हुई। इस दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दो लोगों पर उनको धमकियां देने का आरोप लगाया।
भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक धवन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से पैरवी करने पर तमिलनाडु के प्रोफेसर एन षण्मुगम ने उन्हें 14 अगस्त को धमकी भरा पत्र भेजा। जबकि राजस्थान के संजय कलाल बजरंगी ने उन्हें वॉट्सऐप पर मैसेज भेजा था। यही नहीं धवन की तरफ से अदालत में ये भी कहा गया कि आरोपियों ने उनके साथ घर और कोर्ट परिसर में रोक-टोक करने की कोशिश की। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी किया।
केस की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि आजादी और संविधान की स्थापना के बाद किसी भी धार्मिक स्थान का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। महज स्वयंभू होने के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि अमुक स्थान किसी का है। सुप्रीम कोर्ट से मैं कहना चाहूंगा कि इस मामले में तथ्यों के आधार पर फैसला दिया जाए। धवन ने कहा कि 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से विवादित जमीन पर कब्जा किया था। तब वक्फ निरीक्षक कि तरफ से इस पर रिपोर्ट भी दी गई थी।
धवन ने कोर्ट से कहा कि रोज उनके लिए दलीलें देना मुश्किल है। उन्होंने बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की थी।सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शुक्रवार को ब्रेक लेने की इजाजत दी है।