गांधी परिवार को क्यों मिली थी SPG सुरक्षा और Z+ सुरक्षा से कितनी अलग है इस कटेगरी की सिक्योरिटी?
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से ही गांधी परिवार की सुरक्षा हमेशा से सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चिंता का विषय रही है।
गांधी परिवार को फिलहाल SPG सुरक्षा मिली थी। जिसे वापस ले लिया गया है। अब उन्हें Z+ सुरक्षा मिलेगी। इसका सुरक्षा घेरा SPG सिक्योरिटी से कम होता है। SPG सुरक्षा वापस लिये जाने के बाद से ही जमकर राजनीति हो रही है। कांग्रेस जहां इसे राजनीतिक बदला बता रही है। वहीं सत्ताधारी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि चूंकि गांधी परिवार के लोग ज्यादातर वक्त विदेश जाते वक्त SPG सुरक्षा लेकर नहीं जाते इस वजह से उनसे सुरक्षा वापस ले ली गई है। आइए आपको बताते हैं कि दोनों सुरक्षा घेरे में क्या फर्क है जिसको लेकर इतना हो हल्ला मचा है।
दोनों की सुरक्षा में अंतर
देश में VIP लोगों को उनकी अहमियत और खतरे को देखते हुए अलग-अलग कटेगरी की सुरक्षा दी जाती है। खुफिया विभागों की इनपुट के आधार पर ही अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है। अब बताते हैं दोनों में अंतर क्या है। दरअसल भारत में सुरक्षा व्यवस्था को अलग-अलग कटेगरी में बांटा गया है। जिसमें SPG, जेड प्लस (Z+), जेड (Z), वाई (Y) और एक्स(X) श्रेणी शामिल है। SPG देश में सबसे ऊंचे स्तर की सुरक्षा है जो फिलहाल प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों को दी जाती है। SPG सुरक्षा में देश के सबसे जांबाज सिपाही होते हैं।
इन जवानों का चयन पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स (BSF, CISF, ITBP, CRPF) से किया जाता है। SPG सुरक्षा में तैनात जवान एक फुली ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं। कमांडोज के पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है। इसके साथ ही कमांडोज अपनी सुरक्षा के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं। SPG के जवान अपने आंखों पर एक विशेष चश्मा पहने रहते थे। जिससे उनकी आंखें किसी हमले से बची रहे। साथ ही वह किसी भी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन नहीं होने देता हैं।
SPG सुरक्षा अमल में कब आई?
1981 से पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के विशेष दल के जिम्मे होती थी। साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा की समीक्षा की गई। सचिवों की एक समिति ने तय किया की प्रधानमंत्री को एक विशेष समूह के अधीन सुरक्षा दी जाए। इस पर 18 फरवरी, 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की और मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश को प्रस्तुत किया। इसके बाद 8 अप्रैल,1988 को SPG अस्तित्व में आया।
Z+ सुरक्षा क्या है?
जेड प्लस कटेगरी की सुरक्षा देश की स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप यानि SPG के बाद दूसरे नंबर की सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। इसमें कुल 55 सुरक्षाकर्मी मौजूद होते हैं। 55 में से 10 से ज्यादा NSG कमांडो होते हैं। इसके अलावा पुलिस ऑफिसर होते हैं। इस सुरक्षा में पहले घेरे की ज़िम्मेदारी एनएसजी की होती है, जबकि दूसरी परत एसपीजी कमांडो की होती है। इनके अलावा ITBP और CRPF के जवान भी ज़ेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में शामिल रहते हैं। यही नहीं ही Z+ सुरक्षा में एस्कॉर्ट्स और पायलट वाहन भी दिए जाते हैं।