IndiaIndia NewsNews

क्या है सिंधु जल समझौता, जिसे भारत ने तोड़ दिया तो बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान

भारत की जिन नदियों से पाकिस्तान हरा-भरा रहता है। अब उन नदियों का पानी नहीं मिलने से पड़ोसी मुल्क की आधी आबादी पर जल संकट आने वाला है। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने रावी, ब्यास और सतलुज नदी का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने का फैसला किया है।

रावी नदी पर शाहपुर और कांडी के बीच डैम बनाया जाएगा। कठुआ जिले में ऊझ नदी पर बांध बनाकर पाकिस्तान जाने वाले पानी को जम्मू कश्मीर भेजा जाएगा। रावी, व्यास के दूसरे लिंक से पानी दूसरे राज्यों में भेजा जाएगा।

रावी, ब्यास और सतलुज से भारत को अपने हिस्से का 33 मिलियन एकड़ फीट पानी मिलता है। इसका 95 प्रतिशत भारत ने तीन बांध बना कर अपने लिए इस्तेमाल कर रहा था। बाकी का 5 प्रतिशत यानि 1.6 मीलियन एकड़ फीट पानी पाकिस्तान के लिए भारत अपनी तरफ से छोड़ रहा था। मोदी सरकार ने यह पानी भी पूरी तरह से बंद करने का फैसला ले लिया है। सिंधु नदी से पाकिस्तान के करीब 65 फीसदी इलाके को पानी मिलता है। पाकिस्तान के पूरे पंजाब प्रांत में सिंधु नदी के पानी से ही खेती होती है। ऐसे में अगर भारत पाकिस्तान का पानी रोकता है तो पाकिस्तान के ऊपर बहुत बड़ा जल संकट आ जाएगा।

क्या है सिंधु जल समझौता?
आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच आए दिन पानी को लेकर विवाद रहता था। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अमेरिका के टेनिसी वैली के प्रोजेक्ट हेड को भारत बुलाया था, और भारत से पाकस्तान को जाने वाली नदियों पर एक रिपोर्ट बनाने को कहा था। इस रिपोर्ट क तैयार होने के बाद विश्व बैंक ने इस पर संज्ञान लिया और जल विवाद को खत्म करने के लिए मध्यस्थता की। जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को कराची में सिंधु जल समझौता हुआ था। इसके तहत रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का अधिकार है जबकि झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों का पानी पाकिस्तान को जाता है। जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान बिजली बनाने, खेती, और पीने के तौर पर इस्तेमाल करता है। सिंधु जल समझौते के तहत एक कमीशन बनाया गया है। जिसका नाम है सिंधु जल आयोग। जब कभी भी पानी को लेकर कोई विवाद होत है तो दोनों देशों एक मीटिंग कर इस मसले को सुलझाते हैं।

सिंधु जल समझौते पर फैसला क्यों नहीं है आसान?
भारत-पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध होने के बावजूद आज तक सिंधु जल समझौते को तोड़ा नहीं गया। जबकि हर आतंकी हमले के बाद भारत की जनता में राजनीतिक पार्टियां इस समझौता को तोड़कर पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग करती हैं। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, इस समझौते को भारत के हित के खिलाफ बताते हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तो इस समझौते को तोड़ने के लिए काफी पहले प्रस्ताव भी पास किया जा चुका है। खुद पीएम मोदी 2014 में चुनाव के वक्त इसको लेकर बयान दे चुके हैं। लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है सिंधु जल समझौता भारत एकतरफा नहीं तोड़ सकता, क्योंकि इस संधि में विश्व बैंक भी शामिल है। वहीं स्ट्रैजिक थिंकर और वॉटर कॉन्फ्लिक्ट पर किताब लिखने वाले ब्रह्मा चेलानी का दावा है कि भारत वियना संधि का इस्तेमाल करते पाकिस्तान पर आतंकवाद प्रायोजित कराने का आरोप लगाते हुए इस समझौते को तोड़ सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *