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पीएम मोदी की ‘सुप्रीम डिप्लोमेसी’, चीन भी पाकिस्तान को नहीं बचा पाया

पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ पीएम मोदी की पहली इंटरनेशनल जीत हो चुकी है। दुनिया के 15 शक्तिशाली देशों के संगठन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस बार चीन की शातिर चाल को फेल करके भारत की मुहिम को आगे बढा दिया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने पुलवामा आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए फिदायीन हमले को UNSC सदस्य देशों ने घृणित और कायराना बताया।

UNSC सदस्य देशों ने इस पर जोर दिया कि आतंकवाद के साजिशकर्ताओं, आयोजकों और फंड देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, और सभी देश इसमें भारत का सहयोग करें। सिक्योरिटी काउंसिल का ये बयान भारत के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है, क्योंकि चीन के अड़ंगे के बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिया। दरअसल जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को बचाने के लिए चीन ने हर मुमकिन कोशिश की। चीन पिछले 6 दिनों से बयान को रोकने की कोशिश में लगा था।

चीन नहीं चाहता था कि बयान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम आए। चीन की कोशिश थी कि बयान में जम्मू कश्मीर की जगह भारत के कब्ज़े वाला कश्मीर लिखा जाए। चीन ये भी नहीं चाहता था कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों से भारत को सहयोग करने की अपील की जाए। लेकिन चीन की ये पूरी पीएम मोदी की डिप्लोमेसी के सामने फेल हो गई।

पाकिस्तान के साथ साथ चीन को भी बड़ा झटका लगा है, उसे मजबूर होकर इस बयान पर दस्तखत करने पड़े हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के तेवर देखकर चीन को पीछे हटना पड़ा है। अब फ्रांस जल्द ही अजहर मसूद को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने और उस पर बैन लगाने के लिए प्रस्ताव लाने वाला है। आपको बता दें कि14 फरवरी को हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और कई जवान जख्मी हो गए. पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली है।

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