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अजित डोभाल के ये हैं वो 10 कारनामें जिसकी पूरी दुनिया मानती है लोहा, मोदी सरकार ने किया सैल्यूट, दिया ईनाम

उत्तराखंड की शान और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को केंद्र की मोदी सरकार ने शानदार काम के लिए ईनाम दिया है। सरकार ने डोभाल को दूसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाने के साथ ही कैबिनेट मंत्री का दर्ज भी दिया है।

मोदी सरकार ने जो ईनाम आज पहाड़ी शेर अजित डोभाल को दिया है। उसके पीछे डोभाल के कई ऐसे कारनामें हैं, जिसका भारत ही नहीं पूरी दुनिया लोहा मानती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि अजित डोभाल ने अपने करियर के शरूआती दिनों में ज्यादातर वक्त पाकिस्तान में बतौर एजेंट के तौर पर देश के लिए काम किया था। उनके काम से सरकार इतनी प्रभावित हुई कि डोभाल को जेम्स बॉन्ड कहा जाने लगा था।

अजित डोभाल पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में 7 साल तक काम कर चुके हैं। करियर के शुरुआती दिनों में डोभाल ने अंडरकवर एजेंट के रूप में काम किया था। वो 7 सालों तक पाकिस्तान में सक्रिय रहे। कहा जाता है कि डोभाल पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक मुस्लिम की तरह 7 सालों तक रहे और भारत को जरूरी सूचनाएं भेजते रहे।

अजित डोभाल ने भारतीय सेना के अहम ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान एक गुप्तचर की भूमिका निभाई थी। इस दौरान डोभाल ने वो अहम सूचनाएं दी थीं, जिसके चलते ऑपरेशन ब्लू स्टार कामयाब हो पाया था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान डोभाल की भूमिका एक पाकिस्तानी जासूस की थी। बतौर जासूस डोभाल ने शानदार काम किया। ऑपरेशन के दौरान उन्होंने खालिस्तानी आतंकियों का विश्वास जीत लिया था और अपनी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी। डोभाल ने इस दौरान खालिस्तानी आतंकियों की जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसियों को दी थी।

जून, 2010 में अजित डोभाल ने म्यांमार में उग्रवादियों को मार गिराने की योजना बनाई थी। डोभाल के दिशा निर्देश में भारतीय सेना ने पहली बार सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया था। इस ऑपरेशन में करीब 30 उग्रवादी मारे गए थे।

जून, 2014 में अजित डोभाल ने उस काम को अंजाम तक पहुंचाया था, जिसके बारे में आज भी सोचते हैं कि आखिर उन्होंने उस काम को कैसे अंजाम दिया। दरअसल खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण वाले इराकी शहर तिकरित के एक अस्पताल में आईएसआईएस के कब्जे में 46 भारतीय नर्सें फंस गई थीं, डोभाल ने नर्सों को आईएसआईएस के कब्जे से सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई थी।

1971 से लेकर 1999 के बीच अजित डोभाल ने वो कारनामा कर दिखाया था, जिसका लोहा भारत ही नहीं पूरी दुनिया मानती है। कहते हैं कि अजित डोभाल की वजह से ही 1971 से लेकर 1999 के बीच इंडियन एयरलाइंस के 5 विमानों के संभावित अपहरण की घटनाओं को टालने में भारत को कामयाबकी मिली थी।

साल 1999 में इजित डोभाल ने कंधार में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी- 814 के अपहर्ताओं के साथ भारत के मुख्य वार्ताकार के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी।

पहाड़ी दिग्गज ने मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में चल रहे उग्रवाद विरोधी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1968 में पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने के दौरान लालडेंगा उग्रवादी समूह के 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के पक्ष में कर अपना लोहा मनवाया था।

डोभाल ने कश्मीर में कूका परे जैसे कट्टर कश्मीरी आतंकवादी को अपने पक्ष में कर भारत विरोधी संगठनों शांति का संदेश दिया था, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। डोभाल ने ट्टरपंथी भारत विरोधी आतंकवादियों को भी निशाना बनाया था। जम्मू-कश्मीर में 1996 में हुए चुनाव अगर आसानी से हो पाया था तो इसमें डोभाल की अहम भूमिका थी। ये वो कारनामें हैं, जिसके लिए आज डोभाल को मोदी सरकार ने कैबिनेट का दर्जा देकर उनके काम को सैल्यूट किया है।

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