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अयोध्या विवाद का हल मध्यस्थता से निकलेगा! पढ़िए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय समिति से मध्यस्थता कराए जाने का आदेश दिया।

इस कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ.एम.आई. कलीफुल्ला होंगे और उनके साथ आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू इसके सदस्य होंगे। मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद में होगी और ये एक हफ्ते में शुरू होगी।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने आदेश में कहा, “हमने विवाद की प्रकृति पर विचार किया है। इस मामले में पक्षकारों के बीच सर्वसम्मति की कमी के बावजूद, हमारा विचार है कि मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाने का एक प्रयास किया जाना चाहिए।”

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ऐसे होगी मध्यस्थता

  • सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यों का पैनल बनाया
  • जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्लाह इस पैनल के अध्यक्ष होंगे
  • पैनल में श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल होंगे
  • पैनल को बातचीत अयोध्या में अएक सप्ताह में शुरु करनी होगी
  • पैनल को शुरुआती रिपोर्ट 4 सप्ताह में देनी होगी
  • पैनल को पूरी रिपोर्ट 8 सप्ताह के भीतर सौंपनी होगी
  • मध्यस्थता को गोपनीय रखा जाएगा और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी

मुस्लिम वादकारियों ने मध्यस्थता पर सहमति जताई, लेकिन हिंदू वादकारियों ने इसका विरोध किया। हिंदू पक्ष ने कहा कि उनके लिए भगवान राम का जन्मस्थान निष्ठा और मान्यता का विषय है और वे इस मध्यस्थता में विपरीत स्थिति में नहीं जा सकते।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने 2010 के फैसले में विवादित स्थल को तीन समान भागों में बांटा है, जिसमें निर्मोही अखाड़ा, रामलला और सुन्नी वक्फ बोर्ड प्रत्येक को एक-एक भाग दिया है। हाईकोर्ट के फैसले से कोई भी पक्ष सहमत नहीं हुआ और फिर माला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। तब से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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