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एनडीए से तो गए, अब क्या पार्टी से भी हाथ धो देंगे उपेंद्र कुशवाहा?

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर होने की घोषणा के बाद से आरएलएसपी में उठा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। 

बिहार के आरएलएसपी विधायकों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त, नई दिल्ली को एक पत्र भेजकर विधायक ललन पासवान के गुट को असली पार्टी होने का दावा ठोंका है। निर्वाचन आयोग को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी एनडीए के साथ होकर चुनाव लड़ी थी और फिर 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी एनडीए का हिस्सा थी।

बिहार विधानमंडल के तीन सदस्यों को छोड़कर पार्टी का कोई अन्य सदस्य राज्य विधानसभा में सदस्य नहीं है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है, “राज्य विधनमंडल के तीनों सदस्यों ललन पासवान, संजीव श्याम सिंह और सुधांशु शेखर सहित कई जिलाध्यक्षों और प्रमुख नेताओं ने एनडीए में ही रहने का फैसला लिया है। पत्र में चुनाव चिन्ह पर भी इस गुट ने दावा ठोंका है।”

पत्र में कहा गया है कि 26 दिसंबर को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद और राज्य परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से उपेंद्र कुशवाहा को अध्यक्ष पद से हटाकर ललन पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष और सुधांशु शेखर को प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।

गौरतलब है कि आरएलएसपी के सांसद अरुण कुमार पहले ही रालोसपा से बाहर होकर अपना गुट बनाकर पार्टी से किनारा कर चुके हैं। वहीं आरएलएसपी के कोटे से केंद्रीय मंत्री और अध्यक्ष कुशवाहा ने 10 दिसंबर को एनडीए से अलग होने के बाद महागठबंधन में शमिल होने की घोषणा कर दी थी।

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