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चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 20 करोड़ रुपये का बकाया, राजनीति से फुर्सत मिले तो इधर भी ध्यान दें सरकार!

देश में होने वाला लोकसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में किसानों के नाम पर जमकर राजनीति हो रही है। सभी दल ये दावा कर रहे हैं कि उन्होंने किसनों के लिए बहुत कुछ किया है।

हकीकत ये है कि आज भी देश में किसानों की हालत वैसे ही है, जैसा कि पिछली सरकारों में हुआ करती थी। यह बात इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन द्वारा पेश किए गए ताजा आंकड़ो से साबित होती है।

उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार, 31 जनवरी, 2019 तक गन्ना की कीमतों का बकाया करीब 20 हजार करोड़ रुपये हो गया है। संगठन के मुताबिक, चालू चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में आगे 3 महीने की पेराई की रफ्तार को ध्यान रखा जाए तो बकाया रकम में और बढ़ोतरी हो सकती है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन का कहना है कि मौजूदा चीनी का एक्स-मिल रेट 29-30 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब रहने पर मिलर समय पर बकाये का भुगतान करने में असमर्थ होंगे। एसोसिएशन के मुताबिक, देश भर में चीनी का एक्स मिल रेट उत्पादन लागत से करीब 5 से 6 रुपये प्रति किलोग्राम कम है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने सरकार से चीनी का एक्स मिल रेट बढ़ाकर 35-36 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग की है। साथ ही उद्योग संगठन ने सभी मिलों के लिए आवंटित निर्यात कोटे को सख्ती से लागू करने की मांग की।

चालू गन्ना पेराई सत्र 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती 4 महीनों में चीनी का उत्पादन 185.19 लाख टन हो चुका है, जोकि पिछले साल की इसी अवधि के उत्पादन आंकड़े 171.23 लाख टन से 13.96 लाख टन यानी 7.5 फीसदी ज्यादा है।

संगठन द्वारा सोमवार को जारी उत्पादन के आंकड़ों के मुताबिक, 31 दिसंबर तक देश भर में चालू 514 मिलों में चीनी का कुल उत्पादन 185.19 लाख टन हुआ है, जबकि पिछले साल सीजन के शुरुआती चार महीनों में 504 चीनी मिलों में कुल उत्पादन 171.23 लाख टन हुआ था।

कुल मिलाकर अगर गन्ना किसानों का भुगतान नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में किसानों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। किसानों की परेशानियों को दूर करने की बजाय उनके नाम पर राजनीति हो रही है। ऐसे में जरूरत है कि ये सरकारें राजनीति करने की बजाय किसानों के लिए काम करें ताकि उनका भला हो सके।

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