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अपने देश के मुसलमानों को रोजा क्यों नहीं रखने दे रहा चीन?

चीन में पहले ही दबाव में रह रहे मुस्लिम समाज के सामने नई मुसीबत आ गई है। चीन अब अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगुर समुदाय के लोगों के रोजा रखने पर भी पाबंदी लगा रहा है।

अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक मुसलमानों को सूरज ढलने से पहले खाने और पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस कदम का विरोध करने वालों का कहना है उन पर जुल्म किये जाते हैं। आपको बता दें कि रमजान में सूर्यास्त से पहले और सूरज उगने के बाद खाना-पीना इस्लामिक नियमों के खिलाफ है।

म्यूनिख स्थित विश्व उइगुर कांग्रेस के अध्यक्ष डॉल्कुन का कहना है कि यह परेशान करने वाला और हमारी गौरवशाली परंपरा का अपमान है। उनके मुताबिक पश्चिमी चीनी क्षेत्र शिनजियांग में मुसलमानों को रेस्तरां दिनभर खोलने के लिए मजबूर किया जाता है। साथ ही उइगुर कामगारों को कार्यस्थलों पर लंच ब्रेक के दौरान खाने और पीने के लिए तंग किया जाता है।

जुल्म पर मुस्लिम देश खामोश क्यों?

चीन में इतना सब कुछ होने के बावजूद दुनियाभर के मुस्लिम देश चुप हैं। पाकिस्तान में चीन ने 60 बिलियन डॉलर से ज्यादा का इनवेस्टमेंट कर रखा है। चीन के कर्ज तले पाकिस्तान दबा हुआ है। इसलिए वो चीन में मुसलमानों पर हो रहे इस तरह के जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहा। बांग्लादेश में फिलहाल इतनी कूवत ही नहीं कि वो चीन के खिलाफ किसी भी तरह से आवाज बुलंद कर सके। चीन को लेकर मुस्लिम जगत में ज्यादातर नैरेटिव सऊदी अरब के द्वारा सेट किया जाता हैजिसका आर्थिक और धार्मिक दबदबा है, लेकिन सऊदी पर चुप हैं। इसकी वजह ये है कि सऊदी के किंग मुसलमानों के दो पवित्र स्थलों के कस्टोडियन हैं। यह किंगडम मध्य पूर्व में एक अहम आर्थिक धुरी भी है और इसका तेल चीन के ग्रोथ में ईंधन का काम करता है। इसी महीने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ फोन पर बातचीत के दौरान सऊदी अरब के किंग सलमान ने कहा कि किंगडम चीन के साथ हर स्तर पर आदान-प्रदान को मजबूत करना चाहता है। 

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