विजय दिवस: जब भारत ने पाक को घुटने टेकने पर किया था मजबूर, उत्तराखंड के 248 जांबाजों ने दी थी शहादत
देशभर में 16 दिसंबर, सोमवार को विजय दिवस मनाया गया। 16 दिसंबर, 1971 को ही भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल की थी।
1971 की जंग में उत्तराखंड के 248 जांबाजों ने शहादत दी थी। पड़ा के जांबाजों को पूरे देश ने सैल्यूट किया था। विजय दिवस के मौके पर देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गांधी पार्क में शहीद स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धंजलि दी। इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि 1971 के भारत-पाकिस्तान जंग में भारत की तीनों सेनाओं के आपसी सामंजस्य ने 95 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को 13 दिन के युद्ध के बाद घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस जंग में उत्तराखंड के 248 वीरों ने शहादत दी थी और 78 सैनिक घायल हुए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 74 जांबाजों को वीरता पद से नवाजा गया था। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश की एकता और अखंडता के लिए जो भी जंग हुए, उसमें उत्तराखंड ने अहम भूमिका निभाई। सीएम ने बताया कि अब तक उत्तराखंड के हिस्से में एक परमवीर चक्र, 6 अशोक चक्र, 100 वीर चक्र और 1262 वीरता पदक आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की ये कोशिश है कि सैनिकों और उनके परिजनों को हर सम्भव मदद पहुंचाई जाए। सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि इस उनकी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा प्रदेश सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों की पेंशन 4 हजार रुपये से बढ़ाकर 8 हजार रुपये करने, शहादत देने वाले सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के आश्रितों को उनकी योग्यता हिसाब से राज्याधीन सेवाओं में नियुक्ति देने जैसे कदम उठाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदों के आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में नियुक्ति देने वाला उत्तराखंड देश का पहला प्रदेश है। उन्होंने कहा कि सैनिकों के परिवारों को गृह कर में पूरी छूट, 25 लाख तक की संपत्ति क्रय करने पर स्टाम्प ड्यूटी में 25 प्रतिशत की छूट दी गई है। उन्होंने बताया कि शहीद सैनिकों के बच्चों को कक्षा 1 से 8 तक 6 हजार रुपये और 9वीं कक्षा से पोस्ट ग्रेजुएशन तक 10 हजार रुपये की छात्रवृत्ति प्रदेश सरकार देती है।