योग गुरु बाबा रामदेव ने प्रेस कांफ्रेंस कर कोरोना वायरस से बचाने वाली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल की खोज के बारे में जानकारी दी।

रामदेव द्वारा दी गई जानकारी के कुछ ही घंटों के भीतर उन्हें बड़ा झटका लगा। केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने इस पर जांच बैठा दी है। यही नहीं आयुष मंत्रालय ने दवा की जांच होने तक पतंजलि की ओर से तैयार दवा कोरोनिल के विज्ञापन पर भी रोक लगा दी है।

मंत्रालय ने रामदेव की कंपनी से दवा के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। मंत्रालय ने पूछा है कि उस हॉस्पिटल और साइट के बारे में भी बताएं, जहां इसकी रिसर्च हुई। वहीं, उत्तराखंड सरकार से इस आयुर्वेदिक दवा के लाइसेंस आदि के बारे में जानकारी मांगी है।

आयुष मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड हरिद्वार की ओर से कोविड 19 के उपचार के लिए तैयार दवाओं के बारे मे उसे मीडिया से जानकारी मिली। दवा से जुड़े वैज्ञानिक दावे के अध्ययन और विवरण के बारे में मंत्रालय को कुछ जानकारी नहीं है।”

आयुष मंत्रालय ने कहा कि संबंधित आयुर्वेदिक दवा निर्माण कंपनी से कहा गया है कि दवाओं के ऐसे विज्ञापनों को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के प्रावधानों के तहत जांच-परखकर जारी किया जाता है। केंद्र सरकार ने 21 अप्रैल 2020 को एक अधिसूचना जारी कर बताया था कि आयुष मंत्रालय की निगरानी में किस तरह से दवाओं पर रिसर्च किया जा सकता है।

आयुष मंत्रालय ने कहा है कि दावों के सत्यापन के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को कोरोना के उपचार की दवाओं के नाम और उसके कम्पोजीशन का जल्द से जल्द विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। खासतौर से उस साइट और हॉस्पिटल के बारे में भी पूछा है, जहां इससे जुड़ी रिसर्च हुई। मंत्रालय ने दवा के रिसर्च से जुड़े प्रोटोकॉल, सैंपल साइज, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी क्लियरेंस, सीटीआरआई रजिस्ट्रेशन और रिसर्च का रिजल्ट डेटा मांगा है। कहा है कि दावों का सत्यापन होने तक विज्ञापन पर रोक रहेगी। मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से अनुरोध किया है कि वह कोरोना वायरस के उपचार के लिए दावा की जा रही आयुर्वेदिक दवाओं के लाइसेंस और उत्पाद अनुमोदन के विवरण उपलब्ध कराए।

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