अयोध्या भूमि विवाद की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, इस दिन आ सकता है फैसला
अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई बुधवार यानी 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई। कोर्ट सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने 6 अगस्त से मामले में रोजाना सुनवाई शुरू की थी। इससे पहले कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल मामले को सुलझाने में विफल रही थी। पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश कर रहे थे।
बुधवार को शाम चार बजे मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश राजीव धवन बहस कर रहे थे, मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई को खत्म कर दिया और घोषणा करते हुए कहा कि अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कि सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसले को सुरक्षित रख लिया गया है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 17 नवंबर को अपनी सेवानिवृत्ति से पहले चीफ जस्टिस मामले में फैसला सुनाएंगे। वहीं मामले की सुनाई के बाद हिंदू महासभा के वकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोर्ट ने आश्वस्त किया है कि वह 23 दिन के भीतर अपना फैसला दे देगा।
सुनवाई के आखिर दिन कोर्ट खचाखच भरा हुआ था और हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच काफी तीखी बहस देखने को मिली। धवन ने एक पिक्टोरियल मैप को फाड़कर अदालत को स्तब्ध कर दिया, जिसे अखिल भारतीय हिंदू महासभा के एक वरिष्ठ वकील द्वारा भगवान राम के जन्मस्थली के तौर पर दर्शाया गया था। चीफ जस्टिस ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह हरकत पीठ को पसंद नहीं आई।
दिन के पहले पहर में, हिदू पक्षकारों ने बहस की और कोर्ट से ऐतिहासिक भूल को सही करने का आग्रह किया, जहां हिंदू द्वारा पवित्र माने जाने वाले स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था। वहीं दूसरी तरफ, धवन ने कहा कि मुस्लिम पार्टी बाबरी मस्जिद का निर्माण चाहती है जैसा कि यह 5 दिसंबर 1992 को खड़ा था। उन्होंने कहा, “ढहायी गई इमारत हमारी है। इसे दोबारा बनाने का अधिकार भी हमारे पास है। किसी और के पास कोई अधिकार नहीं है।”
उन्होंने हिंदू पक्ष के एक वकील के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का भी प्रयोग किया, जिसने इस्लामिक कानून पर बहस की और बताया कि बाबरी मस्जिद एक इस्लामिक संरचना नहीं था।धवन ने अदालत के समक्ष कहा, “सल्तनत की शुरुआत 1206 में हुई, और जाति आधारित समाज में इस्लाम लोगों के लिए काफी आकर्षक विश्वास (फेथ) था।”