उत्तराखंड: बिट्टू कर्नाटक बोले- अल्मोड़ा आवासीय विश्वविद्यालय को बंद करना दुभाग्यपूर्ण, सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
उत्तराखंड के अल्मोड़ा के आवासीय विश्वविद्यालय के अस्त्वि खत्म करने के फैसले को बिट्टू कर्नाटक ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
बिट्टू कर्नाटक ने इस संबंध में जिला अधिकारी के माध्यम से राज्य के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने सीएम के नाम अपने ज्ञापन में कहा कि एसएसजे परिसर अल्मोड़ा को विश्वविद्यालय का दर्जा देकर आपने लम्बे समय की मांग को पूरा किया, जिसके लिए अल्मोड़ा की जनता आपका आभार प्रकट करती है।
बिट्टू कर्नाटक ने ज्ञापन में आगे कहा, “पूर्व मुख्यमंत्री माननीय हरीश रावत द्वारा अल्मोड़ा में आवासीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी थी। इसका मकसद जेएनयू की तर्ज पर विकसित कर पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं, छात्रों को रोजगारपरक विषयों का अध्ययन कराना था। ताकि युवाओें को अपनी पढ़ाई पूरी कर बेरोजगारी के लिये दर-दर न भटकना पड़े। इसी सोच को दृष्टिगत रखते हुए इसे स्वीकृत कर किराए के भवन में संचालित किया गया था ताकि भविष्य में भवन निर्माण कर विधिवत् इसका संचालन किया जा सके। लेकिन बड़े दुख का विषय है कि जिस विश्वविद्यालय को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की तर्ज पर चलाया जाना था उसके अस्तित्व का ही समाप्त कर दिया गया।”
उन्होंने अपने ज्ञापन में आगे कहा, “महोदय लोकतंत्र में सरकारों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इस नवसृजित राज्य उत्तराखंड में पूर्व की सरकारों, मुख्यमंत्रियों के जनप्रिय फैसले को खत्म करने में सरकारों की पूरी ताकत लगी रहती है, जिसका नतीजा ये है कि आज भी उत्तराखंड राज्य हर क्षेत्र में संघर्ष करता नजर आ रहा है। ये कितना उचित फैसला होता कि अगर आप के द्वारा पूर्व सीएम हरीश रावत के इस फैसले को यथावत रखते हुए और मजबूती प्रदान करते हुए आवासीय विश्वविद्यालय को तत्काल मूलभूत आवश्यक सुविधायें, संरचनाए उपलब्ध कराने के साथ ही इसे उत्कृष्ठ स्वरूप प्रदान कर इस पर्वतीय क्षेत्र के युवाओं को अपनी सरकार द्वारा उपहार स्वरूप कुछ नये विषयों के साथ जनता को समर्पित करते।”
बिट्टू कर्नाटक ने कहा, “जहां एक ओर केन्द्र सरकार जेएनयू को खत्म करने की साजिश कर रही है, वहीं उससे एक कदम और आगे राज्य सरकार द्वारा नवसृजित आवासीय विश्वविद्यालय को खत्म कर दिया गया जो अपने आप में एक दुर्भाग्य पूर्ण कदम है। आपसे निवेदन है कि जिस प्रकार से अल्मोड़ा में सोबनसिंह जीना विश्वविद्यलय की स्थापना आपके द्वारा की गई, जो सराहनीय कदम है उसी तरह अल्मोड़ा के आवासीय विश्वविद्यालय को भी आप यथावत रखते हुए इसे और विकसित करने की कृपा करें। जिससे पर्वतीय क्षेत्र के युवा स्वरोजगार हेतु इस विश्वविद्यालय से स्वरोजगार परक विषयों पर अध्ययन कर सकें। ताकि ये आवासीय विश्वविद्यालय जेएनयू की तर्ज पर विकसित कर स्थानीय युवाओं को सही मार्ग देने में सक्षम हो सके।”
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)