मां नंदा देवी की वार्षिक लोकजात यात्रा शुरू, सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर से रवाना हुई डोली

चमोली जिले के सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर से कैलाश के लिए मां नंदा देवी की डोली रवाना हुई है। 18 पड़ावों से होकर मां नंदा की डोली एक सितंबर को देवराड़ा मंदिर पहुंचेगी।

गढ़वाल-कुमाऊं की ईष्टदेवी मां नंदा देवी की हर साल होने वाली वार्षिक लोकजात यात्रा की आज शुरूआत हो चुकी है। चमोली के सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर से कैलाश के लिए मां नंदा देवी की डोली रवाना हुई। आपको बता दें, ये यात्रा आज से शुरू हुई है जो 1 सिंतबर 2020 तक चलेगी। कोरोना महामारी के चलते पहले इस यात्रा को लेकर संदेह था कि कहीं ये यात्रा भी कोरोना के कारण इस साल ना हो सके, लेकिन बाद में स्थानीय प्रशासन की ओर से सुरक्षा उपायों के साथ यात्रा के आयोजन की सहमति दी गई।

उत्तराखंड की इष्टदेवी नंदा देवी की हर साल होने वाली लोकजात यात्रा के शुभारंभ की जानकारी खुद राज्य के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी दी। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने ट्वीटर पर लिखा- “गढ़-कुमाऊं की ईष्टदेवी मां नंदा की वार्षिक लोकजात्रा का आज शुभारंभ हो गया है। मां नंदा की डोली कुरुड़ से वेदिनी के लिए आज प्रस्थान करेगी” सीएम ने सभी श्रद्धालुओं से निवेदन भी किया कि “इस महामारी से बचाव के सभी नियमों का पालन करें, साथ ही दुआ मांगी की माँ नंदा कोरोना संकट से सभी को बाहर निकालें”

आपको बता दें, इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए सतर्कता और बचाव के लिये निर्धारित नियमों का पालन होगा। कोरोना महामारी को देखते हुये प्रशासन ने डोलियों के साथ यात्रा में 10 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी है। आपको बता दें कि प्रशासन ने यात्रा पड़ावों पर शारीरिक दूरी बनाये रखने व अन्य सुरक्षा इंतजामों के साथ लोकजात यात्रा के आयोजन की अनुमति दी है।

कुरूड़ मंदिर समिति के मंशाराम गौड़ ने बताया था कि 18 पड़ावों से होकर नंदा की डोली एक सितंबर को देवराड़ा मंदिर पहुंचेगी। यहां देवी 6 माह प्रवास पर रहेंगी। मां नंदा को यहां लोग ईष्ट के रूप में मानते है। कोठी, धरातल्ला, बेराधार, कांडेई, फल्दियागांव, ल्वाणी, मुंदोली, वांण में लोक उत्सव व जागरण होगा। यात्रा 15 अगस्त को उस्तोली, 16 को भेटी, 17 को डुंग्री, 18 को सूना, 19 को चेपड़ों, 20 को धरातल्ला, 21 को फल्दियागांव, 22 को मुंदोली, 23 को वाण, 24 को गैरोली पातल व 25 अगस्त सुबह वेदनी पहुंचेगी। इसके बाद 26 को ल्वाणी, 27 को उलंग्रा, 28 को बेराधार, 29 को गोठिंडा, 30 को कुराड़, 31 को ढूंगाखोली व एक सितंबर को थराली ब्लाक के भेटा गांव होते हुए देवराड़ा में पहुंचेगी। देवराड़ा मंदिर में डाली छह माह प्रवास करेगी।

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