उत्तरखंड में कोरोना संक्रमण कहर बरपा रहा है। रोजाना प्रदेश में पांच हजार से ज्यादा संक्रमित मिल रहे हैं।
इसे साथ ही कोरोना के कारण मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। देहरादून में कोरोना से जिन व्यक्तियों की मौत हो रही है, उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत रायपुर स्थित श्मशान घाट में किया जा रहा है। श्मशान के अंदर चिताओं की कतारें थीं तो बाहर एंबुलेंस की लाइन लगी है।
धर्मनगरी के श्मशान घाटों में जलती चितायें कोरोना के कहर को बयां कर रही है। कनखल और खड़खड़ी के श्मशान घाट में प्रतिदिन औसतन 108 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कनखल श्मशान घाट में लकड़ियों की कमी भी आ खड़ी हुई है। जहां जगह मिल रही है, वहां लोग शवों का अंतिम संस्कार कर रहे है।
कनखल श्मशान घाट का फर्स भी जलती चिताओं के कारण फट गया है। पिछले पांच दिनों से हरिद्वार के अस्पतालों में आईसीयू बेड, वेंटीलेटर और दवाओं के जूझते लोगों को देखा जा सकता है। आखिरी सांस लेने वाले कई लोगों के रिश्तेदारों को आंसू बहाते दिख रहे हैं।
हरिद्वार के श्मशान घाटों में बुजुर्ग, जवान और युवाओं के शव एक साथ जल रहे है। बाहर से आने वाले चिता जलाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे है। जिसको जहां जगह मिल रही है, वहां अंतिम संस्कार किया जा रहा है। मोक्ष की धरती कहने वाला श्मशान घाट छोटे पड़ते दिख रहे हैं।
कनखल श्मशान घाट में घाट से बाहर रास्तों में ही कोविड से संक्रमित लोगों का संस्कार हो रहा है। जबकि खड़खड़ी श्मशान घाट में शवों की संख्या बढ़ने के बाद व्यवस्थाएं बढ़ाई गई है। खाली पड़ी जमीन पर कोरोना से मरने वालों की चिताएं जलाई जा रही है।
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