कोरोना वायरस: चीन से उत्तराखंड लौटा युवक परिवार के साथ पहुंचा दून अस्पताल, मचा हड़कंप

चीन में कोरोना वायरस से 100 से ज्यादा लोगों की मौत और करीब 2000 लोगों के इसकी चपेट में आने से भारत में भी लोग डरे हुए हैं।

देश समेत पूरे उत्तराखंड में लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि इसका लक्ष्ण के दिखते लोग डॉक्टर से मिलें और सही समय पर उनका इलाज किया जा सके। इस बीमारी का फिलहाल बचाव ही उपाय है। इस बीच चीन के शंघाई से उत्तराखंड लौटे युवक के देहरादून के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने की खबर के बाद हड़कंप मच गया। युवक के साथ उसके परिजन भी अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टरों की एक टीम ने फौरन युवक और उसके परिवार की जांच की। इसके बाद डॉक्टरों ने दावा किया कि युवक और उसके परिजन स्वस्थ हैं। उनमें कोरोना वायरस के लक्ष्ण नहीं मिले हैं।

देहरादून का रहने वाला ये युवक चीन के शंघाई में एक होटल में नौकरी करता है। कोरोना वायरस से चीन में हो रही मौतों को देखते हुए वह जनवरी महीने के पहले हफ्ते में घर लौटा था। बुखार, खांसी जुखाम होने पर उसने हरिद्वार रोड जोगीवाला स्थित एक निजी अस्पताल में अपना इलाज करवाया था। इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गया था।

बुधवार को युवक अचानक अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने के लिए पहुंचा। चीन से लौटे युवक और उसके परिवार के अस्पताल पहुंचने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। ऐसे में हड़कंप मच गया। खबर मिलते ही सीएमओ ऑफिस से डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की एक टीम अस्पताल पहुंची। टीम ने निजी अस्पताल से युवक का पूरा ब्योरा और इलाज की जानकारी इकट्ठा की।

निजी अस्पताल से जानकारी मिलने के बाद दोपहर बाद सीएमओ डॉ. मीनाक्षी जोशी ने अपने दफ्तर में प्रेस से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अफवाहों से बचें, डरने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में अब तक कोरोना वायरस का एक भी मरीज होने की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस बीमार को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।

कोरोना वायरस और इसके लक्षण क्या हैं:

कोरोना वायरस से ग्रसित व्यक्ति को सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, बुखार, लगातार छींक आना, अस्थमा का बिगड़ना, थकान महसूस होना, निमोनिया हो जाना या फेफड़ों में सूजन जैसे लक्षण हो सकते हैं। बूढ़े व्यक्तियों के लिए यह वायरस और घातक हो सकता है, क्योंकि जवान लोगों की तुलना में बूढ़े लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है। विशेषज्ञों ने हाल ही में कोरोना वायरस के जीन अनुक्रम को डिकोड किया जिसे 2019-एनसीओवी का नाम दिया गया है। ऐस में इस तरह की दिक्कत महसूस होते ही डॉक्टर से मिलें। कोरोना वायरस को 1960 के दशक में पहली बार खोजा गया था। उसकी मुकुट जैसी आकृति की वजह से उसे कोरोना या क्राउन नाम दिया गया।

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