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हरिद्वार महाकुंभ से पहले नया विवाद, अब कैसे निकलेगा हल?

हरिद्वार महाकुंभ से पहले एक नये विवाद ने जन्म ले लिया है। वैष्णव संप्रदाय के बैरागी आणियों अखाड़े के साधु संत कुंभ मेला प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है

बैरागी अखाड़ों के संतों का आरोप है कि कुंभ मेले के दौरान बैरागी कैंप में होने वाले निर्माण कार्यों को मेला प्रशासन द्वारा नहीं कराया जा रहा है, जबकि सन्यासी अखाड़ा के कार्य मेला प्रशासन करवा रहा है, क्योंकि बैरागी अखाड़ों का मामला कोर्ट में था, लेकिन अब बैरागी अखाड़ों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है कि कुंभ से पहले बैरागी कैंप में बैरागी अखाड़ों के मंदिरों को हटाया नहीं जाएगा। ऐसे में बैरागी अखाड़ों के संत कार्य न होने पर कुंभ के स्नान का बहिष्कार करने की भी बात कर रहे हैं।

उथर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने मांग की है कि शासन और प्रशासन बैरागी अखाड़ों के लिए भूमि का स्थाई हल निकले। मेला प्रशासन कार्य न होने की मुख्य वजह अखाड़ों के नाम भूमि का होना बता रहे हैं। वहीं, बैरागी कैंप में कुंभ मेले के कार्य न होने से बैरागी अखाड़ों के संत काफी नाराज नजर हैं। उन्होंने कुंभ मेले में शाही स्नान के बहिष्कार तक की चेतावनी दे डाली है। बैरागी संप्रदाय के निर्मोही अखाड़े के महंत राजेंद्र दास ने कहा कि बैरागी कैंप में बैरागी अखाड़ों के लिए स्थाई निर्माण हो यहां पर कई लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया है, उसे हटाना चाहिए। मेला प्रशासन और शासन द्वारा अखाड़ों के लिए जो पैसा दिया गया है। उस पैसों से यहां पर काम होना चाहिए।

जनवरी 2021 से कुंभ मेले का आयोजन होना है। लेकिन अभी तक बैरागी कैंप में कुंभ के कार्य शुरू नहीं हो सके हैं। इसका निरीक्षण करने अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह बैरागी कैंप पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बैरागी अखाड़ों की नाराजगी मैं उचित नहीं समझता हैं, क्योंकि सरकार द्वारा अखाड़ों को दिए गए पैसे को जहां लगाना है। वहां पर अखाड़ों के नाम भूमि होना जरूरी है। बैरागी अखाड़ों के नाम भूमि नहीं है, जिनके नाम भूमि है। उनके खातों में पहली किस्त के माध्यम से पैसा जा चुका है।

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